चिरंजीवी योजना में नि:शुल्क कॉकलियर इंप्लांट | 01 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
30 नवंबर, 2022 को राजस्थान के जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि राज्य में ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत अब सरकारी अस्पताल में कॉकलियर इम्प्लांट पूरी तरह नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि जन्म से सुनने और बोलने की अक्षमता एक गंभीर समस्या है, जिसका असर आजीवन रह सकता है। भारत में पैदा होने वाले प्रति एक हजार बच्चों में से चार बच्चे ऐसी विकृति के साथ पैदा होते हैं। इसके उपचार में कॉकलियर इम्प्लांट तकनीक बेहद कारगर सिद्ध हुई है। विशेष रूप से राजस्थान इस तकनीक के ज़रिये उपचार उपलब्ध करवाने में देश में अग्रणी राज्य बनकर सामने आया है।
- उन्होंने बताया कि कॉकलियर इम्प्लांट करने के लिये रोगी के मस्तिष्क में इस कॉकलियर नर्व का होना आवश्यक होता है। लेकिन जिन मरीजों में यह नर्व नहीं होती, उनमें सर्जरी के ज़रिये कॉकलियर नस विकसित कर इम्प्लांट किया जाता है, जिसे ऑडिटर ब्रेन स्टेम कहते हैं। यह अत्याधुनिक तकनीक है, जो अभी केवल चेन्नई व दिल्ली के कुछ निजी अस्पतालों में ही इस्तेमाल की जाती है।
- राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहाँ यह 18 से 20 लाख रुपए में होने वाला बेहद खर्चीला इम्प्लांट सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क किया जा रहा है।
- ज्ञातव्य है कि राजस्थान आंध्र प्रदेश और केरल के बाद देश का तीसरा ऐसा राज्य है, जहाँ कॉकलियर इम्प्लांट के ज़रिये पाँच वर्ष तक के करीब एक हज़ार 100 बच्चों की सुनने और बोलने की क्षमता लौटाई जा रही है।
- गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश और केरल में जहाँ यह तकनीक निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध है, वहीं राजस्थान में यह मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में पूरी तरह नि:शुल्क उपलब्ध है।
- वर्तमान में प्रदेश के पाँच शहरों के राजकीय अस्पतालों में नि:शुल्क कॉकलियर इम्प्लांट की सुविधा उपलब्ध है। इनमें जयपुर, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर और जोधपुर शहर शामिल हैं।
- जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अब तक 700, जयपुरिया अस्पताल में 95, सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर में 145, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में 40, एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर में 60 तथा जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर में 20 इम्प्लांट किये जा चुके हैं।
- प्रोफेसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर ने बताया कि कॉकलियर इम्प्लांट के लिये बच्चों की जितनी कम आयु होती है, उतना ही अधिक लाभ मिलता है। स्वास्थ्य नीति के अनुसार इम्प्लांट के लिये नौ महीने की आयु अनुमोदित है, यानी कम से कम नौ महीने से बड़े बच्चों का ही ऑपरेशन हो सकता है।
- राजस्थान में 4 साल से कम उम्र के बच्चे निशुल्क इलाज प्राप्त कर सकते हैं। कॉकलियर इम्प्लांट का ऑपरेशन सामान्यत: बहुत महंगा है। प्रत्येक ऑपरेशन का खर्च कम से कम आठ से 10 लाख होता है।
- विदित है कि 1 अप्रैल, 2022 से कॉकलियर इम्प्लांट को ‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ में शामिल किया गया है।