पश्चिमी यूपी के नशा तस्करों पर पहली बार होगी पिट के तहत कार्रवाई | 01 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
29 जून, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार पश्चिमी यूपी में पहली बार नशा तस्करों पर पिट (द प्रिवेंशन ऑफ इलिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक एंड सबस्टांसेंस एक्ट-1988) के तहत कार्रवाई होने जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार सहारनपुर से लेकर शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर की जेलों में बंद उन तस्करों की फाइल तैयार की जा रही है, जो नशा तस्करी के आदतन अपराधी हो चुके हैं और जेल से बाहर निकलने के बाद वह फिर इसी धंधे में शामिल हो सकते हैं।
- पिट की कार्रवाई के लिये करीब 20 तस्करों की फाइल तैयार की जा रही है। यह कार्रवाई एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टॉस्क फोर्स) की ओर से कराई जाती है।
- एएनटीएफ ने जिन तस्करों की फाइल पिट के लिये तैयार की है, उसे डीएम से कमिश्नर और मुख्यालय भेजा जाएगा। शासन स्तर पर जाँच होगी कि जिस व्यक्ति के खिलाफ पिट की कार्रवाई की फाइल आई है वह कितनी जायज है। शासन की अनुमति के बाद कार्रवाई की जाएगी।
- पुलिस उपाधीक्षक एनएनटीएफ मेरठ-सहारनपुर राजेश कुमार के मुताबिक पश्चिमी यूपी में अभी तक ऐसी कार्रवाई नहीं हुई थी। इस कार्रवाई के बाद नशा तस्कर कम से कम एक साल जेल के अंदर रहेगा और जमानत से लेकर अन्य किसी तरह की याचिका पर कोई विचार नहीं किया जाएगा।
- इसके अलावा नशे के धंधे से उसने जो संपत्ति जुटाई थी, उसे भी सर्वे कर जब्त किया जाएगा। यह कार्रवाई उन अपराधियों के खिलाफ कराई जाती है, जिनका जेल में बंद रहना जरूरी हो जाता है।
- उल्लेखनीय है कि पिट की कार्रवाई एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) से मिलती-जुलती है। एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को तीन महीने बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है। ज़रूरत पड़ने पर तीन-तीन माह की अवधि बढ़ाई जा सकती है, जो अधिकतम एक साल हो सकती है।
- हिरासत में रखने के लिये संदिग्ध पर आरोप तय करने की ज़रूरत नहीं होती। हालाँकि प्रदेश सरकार को यह बताना पड़ता है कि इस व्यक्ति को जेल में किस आधार पर रखा गया। यह कार्रवाई शासन के आदेश पर सिविल पुलिस कर सकती है, जबकि पिट की कार्रवाई सिर्फ एएनटीएफ कर सकती है।