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उत्तर प्रदेश

सोनभद्र में फ्लोराइड विषाक्तता

  • 05 Mar 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

 उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में फ्लोराइड प्रदुषण का अधिक स्तर पाया गया है, जिसके कारण लाखों लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

मुख्य बिंदु 

  • मुद्दे के बारे में:
    • सोनभद्र ज़िले के 276 गाँवों की दो लाख से अधिक आबादी फ्लोराइड युक्त पानी पीने से प्रभावित है।
      • कोन, वभनी, म्योरपुर और दुद्धी ब्लॉक के गाँवों के भूजल में फ्लोराइड का स्तर निर्धारित मानक से 5-6 गुना से अधिक पाया गया है। 
    • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव:
      • इसके चलते लोगों की हड्डियाँ कमज़ोर और टेढ़ी हो रही हैं, बच्चे जन्म से ही दिव्यांग पैदा हो रहे हैं और बड़ी संख्या में बुजुर्ग चलने में असमर्थ हो रहे हैं।
    • NGT का आदेश:

फ्लोराइड 

  • परिचय: 
    • फ्लोराइड एक व्यापक रूप से पाया जाने वाला, गैर-बायोडिग्रेडेबल और दीर्घकालिक प्रभाव वाला प्रदूषक है। यह कोयले की ईंटों को जलाने से बनता है। फ्लोराइड प्राकृतिक रूप से खनिजों के साथ-साथ मिट्टी, पानी और हवा में भी पाया जाता है।
  • विषाक्तता: 
    • यह अत्यधिक विषैला होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीने के जल में फ्लोराइड की ऊपरी सीमा 1.5 मिग्रा/लीटर की सिफारिश की है।
  • फ्लोराइड के प्रभाव:
    • पर्याप्त मात्रा में सेवन किये जाने पर, फ्लोराइड दाँतों की सड़न को रोकता है, दाँतों के इनेमल के निर्माण में सहायता करता है और हड्डियों के खनिजीकरण में कमी को रोकता है। 
    • किंतु अधिक मात्रा में यह हड्डियों और जोड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, साथ ही दाँतों में फ्लोरोसिस का कारण बनता है।
    • फ्लोराइड प्रदूषण का वन्यजीवों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 

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