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उत्तर प्रदेश

लखनऊ में नवाबों की पाँच ऐतिहासिक इमारतें बनेंगी हेरिटेज होटल

  • 22 Feb 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

21 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश पुरातत्त्व विभाग की निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये शहर की पाँच ऐतिहासिक इमारतों को हेरिटेज होटलों में बदलने के प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि प्रस्ताव मंजूर होने के बाद पर्यटन विभाग ने इन्हें असंरक्षित श्रेणी में डालते हुए यहाँ हेरिटज होटल विकसित करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। इन इमारतों को डी नोटिफाई कर दिया जाएगा और इनके हेरिटेज होटल बनने की राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर दिया जाएगा।
  • माना जा रहा है कि इन इमारतों को होटल का लुक देने से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यटन विभाग की आय में भी इज़ाफा होगा। राजस्थान में इसी तरह से तमाम ऐतिहासिक इमारतों को होटलों में बदलने का बड़ा फायदा हुआ है। तेजी से पर्यटक इनके प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
  • निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि फिलहाल लखनऊ की छतर मंजिल, रोशन-उद्दौला कोठी, कोठी गुलिस्ताने-इरम, कोठी दर्शन विलास और फरहद बख्स को हेरिटेज होटल में तब्दील करने की तैयारी है।
  • उन्होंने बताया कि इन इमारतों को असंरक्षित किये जाने के मामले में यदि किसी भी व्यक्ति को आपत्ति हो तो वह विभाग में आपत्ति दर्ज करा सकता है और केवल उन्हीं आपत्तियों पर विचार किया जाएगा जो इस अधिसूचना के निरस्त होने के एक माह के भीतर आएंगी।
  • डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि अन्य राज्यों में इमारतों को होटलों में बदलने के इस मॉडल ने विरासत को बचाने में काफी मदद की है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। इससे इन स्मारकों को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाने में भी मदद मिलेगी।
  • इन ऐतिहासिक इमारतों का व्यावसायिक उपयोग के लिये परिवर्तन करने से इनके संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। राज्य एएसआई यह सुनिश्चित करेगा कि इमारत का नवीनीकरण और पुनर्निर्माण विरासत को प्रभावित किये बिना किया जाए।
  • पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि अन्य राज्यों की तर्ज पर इन भवनों को हेरिटेज होटलों में बदलने से इनके संरक्षण में मदद मिलेगी। साथ ही इससे राज्य की राजधानी में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • छतर मंजिल भवन - इस भवन का निर्माण नवाब सआदत अली खाँ ने 1798-1814 के बीच अपनी माता छतर कुँअर के नाम पर करवाया था। इसके बाद बादशाह गाजीउद्दीन हैदर के 1827-1837 के शासनकाल में इस भवन को सँवारा गया। छतर मंजिल का भवन इंडो-इटालियन स्थापत्य कला से बना है। इसके भूतल की दीवारों से गोमती का पानी टकराता था, जिससे भवन में बराबर ठंडक बनी रहती थी। इस भवन का उपयोग अवध की बेगमों के निवास के लिये किया जाता था। यह भी माना जाता है कि सिंहासनारोहण के समय जब नवाब ने छत्र धारण किया तब उसने इस महल के ऊपर भी छत्र लगवाया था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छतर मंजिल का प्रयोग क्रांतिकारियों ने किया।
  • गुलिस्तान-ए-इरम - इसका निर्माण 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अवध के दूसरे नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने करवाया था। यह नसीरुद्दीन का निजी पुस्तकालय था। ब्रिटिश काल में यह सरकार का फार्म हाउस बन गया। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने कैसरबाग को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, क्योंकि यह नवाबों का गढ़ था। इसी आदेश के तहत गुलिस्तान-ए-इरम को भी ध्वस्त कर दिया गया।
  • कोठी दर्शन विलास - कोठी दर्शन विलास के जिस भवन में अब स्वास्थ्य निदेशालय स्थित है, वह कभी एक महल था। इसका निर्माण नवाब गाजीउद्दीन हैदर के शासनकाल में शुरू हुआ।
  • रोशन-उद्-दौला - अवध के नवाब नसीरुद्दीन हैदर (1827-1837) के शासनकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री रोशन-उद्-दौला ने इसका निर्माण कराया। इसे जल्द ही नवाब वाजिद अली शाह ने ले लिया। इसके वास्तु में ब्रिटिश और मुगल कला दोनों के संकेत मिलते हैं।
  • फरहत बख्श कोठी - इस कोठी का मूल नाम मार्टिन विला था। इसका निर्माण मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन ने सन् 1781 में करवाया था। यह इंडो-फ्रेंच वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। यह उनका निवास स्थान हुआ करता था।
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