‘अमृत’ मिशन (AMRUT) के तहत देश के 500 शहरों में झारखंड के पाँच शहर शामिल | 12 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) के तहत देश के 500 शहरों में झारखंड के पाँच शहरों- देवघर, मधुपुर, बासुकिनाथ, गोड्डा और महागामा को शामिल किया है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने गोड्डा संसदीय क्षेत्र के इन 5 शहरों के कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये पहले फेज में 50 करोड़ रुपए भी स्वीकृत कर दिये हैं। इस राशि से इन 5 शहरों में पानी की आपूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन, पार्क, आधारभूत संरचना जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं पर काम होगा।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में भारत सरकार ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पानी की आपूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन, पार्क जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाएँ प्रदान करना है, ताकि सभी के लिये जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके, विशेषरूप से गरीबों और वंचितों के लिये।
- मिशन का फोकस बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर है, जिसका नागरिकों को बेहतर सेवाओं के प्रावधान से सीधा संबंध है
- ‘अमृत’ मिशन के उद्देश्य हैं-
- सुनिश्चित करना है कि हर घर में पानी की सुनिश्चित आपूर्ति और एक सीवरेज कनेक्शन के साथ एक नल तक पहुँच हो।
- हरियाली और अच्छी तरह से बनाए हुए खुले स्थान विकसित करके शहरों की सुविधा मूल्य में वृद्धि करें।
- सार्वजनिक परिवहन पर स्विच करके या गैर-मोटर चालित परिवहन के लिये सुविधाओं का निर्माण करके प्रदूषण को कम करना।
- प्रमुख परियोजना घटक प्राथमिकता के क्रम में जल आपूर्ति प्रणाली, सीवरेज, सेप्टेज, तूफान जल निकासी, शहरी परिवहन, हरित स्थान और पार्क, सुधार प्रबंधन और समर्थन, क्षमता निर्माण आदि हैं।
- जल आपूर्ति और सीवरेज सेवाओं के सार्वभौमिक कवरेज का मिशन में पहला प्रभार है। बच्चों और बुजुर्गों के अनुकूल सुविधाओं वाले पार्कों के विकास के लिये परियोजना लागत का अधिकतम 2.5% आवंटन है।
- मिशन में 500 शहरों को शामिल किया गया है, जिनमें अधिसूचित नगर पालिकाओं के साथ एक लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहर और कस्बे शामिल हैं।
- अमृत के लिये कुल परिव्यय रुपए वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2019-20 तक पाँच वर्षों के लिये 50,000 करोड़ रुपए थे।
- यह मिशन केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में संचालित किया जा रहा है। परियोजना निधि को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के बीच एक समान सूत्र में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की शहरी आबादी और सांविधिक कस्बों की संख्या को 50:50 वेटेज दिया जा रहा है।