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झारखंड

झारखंड में पेसा कानून को दिया गया अंतिम रूप

  • 25 Sep 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

  • 24 सितंबर, 2023 को झारखंड सरकार ने सभी आपत्तियों व सुझावों पर तर्कसंगत फैसला करते हुए पेसा रूल-2022 को अंतिम रूप दे दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • पेसा रूल में ग्रामसभाओं को ‘शक्तिशाली’और ‘अधिकार संपन्न’बनाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता मानकी, मुंडा आदि पारंपरिक प्रधान ही करेंगे।
  • पंचायत सचिव ‘ग्रामसभा सचिव’के रूप में काम करेंगे। बैठकों में कोरम पूरा करने के लिये 1/3 सदस्यों की मौजूदगी जरूरी है। कोरम पूरा करने के लिये निर्धारित इस संख्या में 1/3 महिलाओं की उपस्थिति भी जरूरी है। ग्रामसभा की बैठक में अभद्र व्यवहार करने, अनुशासन तोड़नेवाले सदस्य को बैठक से निष्कासित करने का अधिकार सभा के अध्यक्ष को दिया गया है।
  • ग्रामसभा की सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा। ग्रामसभा का फैसला ही अंतिम होगा। आदिवासियों की ज़मीन खरीद-बिक्री मामले में भी ग्रामसभा की सहमति की बाध्यता होगी।
  • ग्रामसभा गाँव में विधि-व्यवस्था बहाल करने के उद्देश्य से आईपीसी की कुल-36 धाराओं के तहत अपराध करने वालों पर न्यूनतम 10 रुपए से अधिकतम 1000 रुपए तक का दंड लगा सकेंगी।
  • दंड की अपील पारंपरिक उच्च स्तर के बाद सीधे हाइकोर्ट में की जाएगी। पेसा रूल में पुलिस की भूमिका निर्धारित करते हुए किसी की गिरफ्तारी के 48 घंटे के अंदर गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी ग्रामसभा को देने की बाध्यता तय की गई है।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा जारी पेसा रूल के प्रारूप पर 31 अगस्त तक आपत्तियाँ और सुझाव मांगे गए थे। इसके आलोक में कई संगठनों ने रूल के प्रारूप पर आपत्तियाँ दर्ज कराई थीं। साथ ही कई सुझाव भी दिये थे।
  • सरकार ने उन आपत्तियों और सुझावों को अस्वीकार कर दिया है, जो हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और पेसा अधिनियम, झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 के प्रावधानों के विपरीत थे। साथ ही नियम संगत सुझावों को स्वीकार करते हुए पेसा रूल-2022 को अंतिम रूप दिया है। इसमें कुल 17 अध्याय और 36 धाराएँ हैं।
  • पेसा रूल में ग्रामसभा में कोष स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। इसे अन्न कोष, श्रम कोष, वस्तु कोष, नकद कोष के नाम से जाना जाएगा। नकद कोष में दान, प्रोत्साहन राशि, दंड, शुल्क, वन उपज से मिलने वाले रॉयल्टी, तालाब, बाजार आदि के लीज से मिलने वाली राशि रखी जाएगी। ग्रामसभा में बक्से में बंद कर अधिकतम 10 हज़ार रुपए ही रखे जाएंगे। इससे अधिक जमा हुई राशि को बैंक खाते में रखा जाएगा।
  • पैसा रुल के अनुसार ग्रामसभाएँ ही संविधान के अनुच्छेद-275(1) के तहत मिलनेवाले अनुदान और ज़िला खनिज विकास निधि (डीएमएफटी) से की जाने वाली योजनाओं का फैसला करेंगी। योजना के लाभुकों का चयन ग्रामसभा के माध्यम से किया जाएगा। विभाग द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं के लिये ग्राम सभा के द्वारा विचार-विमर्श करना होगा।
  • पेसा रूल के प्रावधानों के सामाजिक, धार्मिक और प्रथा के प्रतिकूल होने की स्थिति में ग्रामसभा को इस पर आपत्ति दर्ज करने का अधिकार होगा। इस तरह के मामलों में ग्रामसभा प्रस्ताव पारित कर उपायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार को भेजेगी।
  • सरकार 30 दिनों के अंदर एक उच्चस्तरीय समिति बनाएगी। यह समिति 90 दिनों के अंदर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के आधार पर सरकार फैसला करेगी और ग्रामसभा को सूचित करेगी।
  • ग्रामसभा अपनी पारंपरिक सीमा के अंदर प्राकृतिक स्रोतों का प्रबंधन करेगी। ग्रामसभा को वन उपज पर अधिकार दिया गया है। साथ ही वन उपज की सूची में पादक मूल के सभी गैर-इमारती वनोत्पाद को शामिल किया गया है।
  • वन उपज की सूची में बांस, झाड़-झंखाड़, ठूंठ, बेंत, तुसार, कोया, शहद, मोम, लाह, चार, महुआ, हर्रा, बहेरा, करंज, सरई, आंवला, रुगड़ा, तेंदू, केंदू पत्ता के अलावा औषधीय पौधों और जड़ी-बूटी को शामिल किया गया है।
  • ग्रामसभा को लघु खनिजों का अधिकार दिया गया है। ग्रामसभाएँ सामुदायिक संसाधनों का नियंत्रण समुदाय के पारंपरिक पद्धति और प्रथाओं से करेंगी। हालाँकि, इस दौरान विल्किसन रूल्स, छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, संताल परगना काश्तकारी अधिनियम सहित अन्य कानूनों का ध्यान रखा जाएगा।
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