धर्मपाल राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कारों की स्थापना | 09 Mar 2023
चर्चा में क्यों?
7 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश की संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री ऊषा ठाकुर ने बताया कि प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा स्वराज संस्थान संचालनालय के अधीन धर्मपाल शोधपीठ के अंतर्गत 5 लाख रुपए का एक धर्मपाल राष्ट्रीय सम्मान एवं दो-दो लाख प्रति पुरस्कार के तीन धर्मपाल राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किये जा रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत विख्यात चिंतक, इतिहासकार एवं विचारक धर्मपाल के जन्म शताब्दी वर्ष पर यह निर्णय लिया गया है।
- प्रदेश की संस्कृति, पर्यटन और धर्मस्व मंत्री ऊषा ठाकुर ने बताया कि धर्मपाल राष्ट्रीय सम्मान में भारतीय इतिहास, शिक्षा एवं धर्मपाल के विचारों के प्रतिपादन के लिये किये गए उल्लेखनीय कार्य एवं योगदान हेतु व्यक्ति/संस्था को सम्मानित किया जाएगा।
- इसके अलावा आधुनिक भारत के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक इतिहास पर मौलिक कार्य, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के संरक्षण, परिरक्षण, दस्तावेज़ीकरण, अनुवाद, प्रचार-प्रसार और ग्राम स्वराज, ग्रामीण विकास, सामाजिक सरोकार एवं स्वदेशी जैसे भारतीय विचारों के क्रियान्वयन के क्षेत्र में सक्रिय व्यक्तियों एवं संस्थाओं को धर्मपाल राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा सकेगा।
- ऊषा ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2022-23 में 6 लाख रुपए की 5 सीनियर फैलोशिप तथा 4 लाख 32 हज़ार रुपए की सात जूनियर फैलोशिप भी घोषित की गई है।
- पाँच सीनियर फैलोशिप के लिये आमंत्रित प्रस्तावों में 18वीं शताब्दी का भारत, भारत और यूरोप, भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की ऐतिहासिकता, भारतीय परंपरा में समाज और राज-व्यवस्था, औपनिवेशिकता से मुक्ति और भारतीय स्वतंत्र, भारतवर्ष की सामाजिक संरचना, अंतर्संबंध और सामुदायिक संस्कृतियाँ, भारत की पंचायती व्यवस्था का इतिहास, भारत की जनपदीय शिक्षा प्रणाली, पशुचारक-संस्कृति (गोधन संस्कृति) और भारतीय अर्थतंत्र, घुमंतु (विमुक्त एवं अर्द्ध घुमंतु) समुदायों की जीवन-संस्कृति आदि विषय शामिल हैं।
- सात जूनियर फैलोशिप के लिये आमंत्रित प्रस्तावों में मध्य भारत की स्थानिक गाथा-आख्यान परंपराएँ और वाचिक इतिहास, मध्य भारत में विज्ञान और तकनीकी कौशल परंपराएँ, मध्य भारत का भाषा परिवार और उनकी पहचान, मध्य भारत में जातीय कौशल: कला, शिल्प, विज्ञान, मध्य भारत में स्थानीय औषधीय व वैद्यकीय ज्ञान परंपरा, मध्य भारत की देशज भैषज्य ज्ञान संपदा, राष्ट्र-निर्माण में घुमंतु समुदायों का अवदान, मध्य भारत की अरण्यक जीवन-संस्कृति एवं धरोहर आदि विषय शामिल किये गए हैं।