नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


हरियाणा

हरियाणा में आपराधिक कानूनों का प्रवर्तन

  • 22 May 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने हाल ही में पेश किये गए तीन आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिये एक योजना बनाई है: भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023

मुख्य बिंदु:

हरियाणा पुलिस विभाग तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिये क्षमता निर्माण पहल और तैयारी तेज़ कर रहा है।

मास्टर प्रशिक्षकों और पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण को प्राथमिकता देते हुए, विभाग का लक्ष्य इन नए नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है।

भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 (BNS)

  • यह केंद्र सरकार द्वारा पुराने भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) को बदलने के लिये पेश किये गए तीन आपराधिक कानून विधेयकों में से एक है।
  • BNS को 20 दिसंबर 2023 को लोकसभा में और 21 दिसंबर 2023 को राज्यसभा में पारित किया गया था।
  • संशोधनों के अलावा इसका उद्देश्य सामान्य कानून में कई अपराधों को जोड़ना है जो या तो किसी कानून का हिस्सा थे या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का परिणाम थे।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 (BNSS2) आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) को प्रतिस्थापित करती है और इसमें महत्त्वपूर्ण परिवर्तन शामिल हैं:
    • अभियोगाधीन का निरोध: BNSS2 ने विचाराधीन कैदियों के लिये नियमों में बदलाव किया है, आजीवन कारावास के मामलों और कई आरोपों का सामना करने वाले व्यक्तियों सहित गंभीर अपराधों के आरोपियों के लिये व्यक्तिगत बांड पर रिहाई को प्रतिबंधित कर दिया है।
    • चिकित्सीय परीक्षण: यह मेडिकल परीक्षण के दायरे को व्यापक बनाता है, जिससे किसी भी पुलिस अधिकारी (सिर्फ एक उप-निरीक्षक नहीं) को अनुरोध करने की अनुमति मिलती है, जिससे प्रक्रिया अधिक सुलभ हो जाती है।
    • फोरेंसिक जाँच: कम-से-कम सात वर्ष के कारावास के साथ दंडनीय अपराधों के लिये फोरेंसिक जाँच को अनिवार्य करता है।
    • हस्ताक्षर और उंगलियों के निशान: उंगलियों के निशान और आवाज़ के नमूने एकत्र करने की शक्ति बढ़ाता है।
    • प्रक्रियाओं हेतु समय-सीमा: BNSS2 सख्त समय-सीमा पेश करता है: 7 दिनों के भीतर बलात्कार पीड़ितों के लिये मेडिकल रिपोर्ट, 30 दिनों के भीतर फैसले (45 तक बढ़ाया जा सकता है), पीड़ित की प्रगति के बारे में 90 दिनों के भीतर अपडेट और पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना।
    • न्यायालयों का पदानुक्रम: CrPC भारत की आपराधिक न्यायालयों को मजिस्ट्रेट न्यायालयों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक, पदानुक्रमित रूप से व्यवस्थित करती है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023

भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 (BSB2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) का स्थान लेता है। यह IEA के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखता है जिनमें स्वीकारोक्ति, तथ्यों की प्रासंगिकता और सबूतों का बोझ शामिल है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow