मध्य प्रदेश की नदियों से हटाया जाएगा अतिक्रमण | 30 May 2024
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार ज़िले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थित नदियों व तालाबों से अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू होगा, जिसमें शहर की सरस्वती व कान्ह नदी भी शामिल है।
मुख्य बिंदु:
- अभियान के तहत नदियों के 30 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं होना चाहिये। शहर और मास्टर प्लान क्षेत्र के चिह्नित 20 तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों के 56 तालाबों से भी अतिक्रमण हटाया जा रहा है।
- इन तालाबों में सीवर का जल (अपशिष्ट जल) न जाने पाए, इसके लिये ठोस प्रबंधन सुनिश्चित किये जाएँ। शहर सहित पूरे ज़िले में वृक्षारोपण का महा-अभियान भी चलाया जाएगा।
सरस्वती नदी
- यह इंदौर से होकर बहने वाली नदी है। इसमें अलवण जल नहीं है, बल्कि यह मुख्य रूप से कान्ह नदी के प्रदूषण के कारण प्रदूषित हो गई है।
- यह नदी क्षिप्रा नदी के माध्यम से एक बड़े जल निकाय में बहती है।
- मध्य प्रदेश में चंबल नदी की एक सहायक नदी शिप्रा (क्षिप्रा) मालवा पठार से होकर बहती है।
- यह विंध्य पर्वतमाला में काकरी-टेकड़ी नामक पहाड़ी से निकलती है, जो धार के उत्तर में है और उज्जैन के पास स्थित है।
- कान्ह और गंभीर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
कान्ह नदी
- कान्ह इंदौर से होकर बहने वाली एक नदी है। 1990 के दशक की शुरुआत में इस नदी में सीवेज़ का अपशिष्ट जल मुक्त होना शुरू हुआ था। नदी को साफ करने के कई प्रयास किये गए हैं, फिर भी यह प्रदूषित है।
- सरस्वती नदी के साथ यह नदी स्मार्ट सिटी इंदौर परियोजना का हिस्सा है और नदी के किनारे 3.9 किलोमीटर का रिवरफ्रंट पहले ही विकसित किया जा चुका है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत दोनों नदियों का कायाकल्प किया जा रहा है।
- वर्ष 2023 में केंद्र सरकार ने 'नमामि गंगे कार्यक्रम' के तहत कान्ह और सरस्वती नदियों की सफाई के लिये 511.15 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं।