पूर्वी भारत का सबसे बड़ा ओपन-एयर बटरफ्लाई पार्क | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
16 जुलाई, 2023 को भगवान बिरसा जैविक पार्क (बिरसा चिड़ियाघर) के निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि पूर्वी भारत का सबसे बड़ा ओपन-एयर बटरफ्लाई पार्क जल्द ही भगवान बिरसा जैविक पार्क (बीबीबीपी) में जनता के लिये खोल दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- यह पार्क बीबीबीपी के परिसर में एक्वैरियम के ठीक सामने 19 एकड़ की विशाल भूमि पर बनाया गया है। भगवान बिरसा जैविक पार्क रांची शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, जिसे बिरसा चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता है।
- बटरफ्लाई प्रेमियों को मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षिक मूल्य प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गए इस पार्क के पहले चरण का विकास कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इस पार्क की अनुमानित लागत दो करोड़ रुपए है।
- पहले चरण में जो विकास कार्य किये गए हैं उनमें एक बटरफ्लाई कंजर्वेटरी, इसके अलावा आवास विकास जैसे पराग पौधों का रोपण, तितली पार्क के लिये पैदल मार्ग का निर्माण, एक तालाब और एक प्रवेश द्वार शामिल है। अभी पार्क में कुछ सुधारीकरण और अन्य कार्य चल रहे हैं। आने वाले चरणों में पार्क में और सुविधाएँ जोड़ी जाएंगी। इसे एक या दो महीने में जनता के देखने के लिये खोल दिया जाएगा।
- जब्बार सिंह ने बताया कि पार्क को हरे-भरे क्षेत्र में विकसित किया गया है, जो आगंतुकों को पारिस्थितिकी (Ecology) में तितलियों के महत्त्व के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा। स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता की बढ़ती आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने में तितलियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अच्छी संख्या में तितलियों की मौजूदगी एक उत्तम प्राकृतिक वातावरण का सूचक है।
- वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार राँची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्र वाहनों और उद्योगों की बढ़ती संख्या से प्रदूषित हैं। अशांति के प्रभाव को कम करने के लिये तितली या पारिस्थितिक पार्क जैसे विषयगत उद्यान समय की मांग है। पर्यावरण में तितलियों का अस्तित्व पौधों के परागणकर्त्ता, अन्य जानवरों के लिये भोजन स्रोत और वैज्ञानिक खोजों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि झारखंड में तितलियों की 75 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। पार्क में अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि तितलियाँ प्राकृतिक रूप से विकसित हो सकें। 900 वर्ग मीटर के क्षेत्र में एक ढका हुआ कंजर्वेटरी बनाया गया है ताकि उन्हें पक्षियों और किसी अन्य शिकार से बचाया जा सके।
- चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा झारखंड में पाई जाने वाली अधिकांश प्रजातियों जैसे ट्वनी कोस्टर, सार्जेंट, बुश ब्राउन, बैरोनेट, प्लेन टाइगर, लेमन पैंसी, कॉमन सेलर और अन्य को पार्क में रखने की कोशिश की जाएगी।
- गौरतलब है कि पार्क के पहले चरण को पूरा होने में लगभग छह साल लगे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 29 जून, 2017 को पार्क की नींव रखी थी। हालाँकि, परियोजना पर काम तीन साल बाद 2020 में शुरू हुआ। कोविड-19 महामारी के कारण परियोजना के क्रियान्वयन में ज्यादा देरी हुई।
- राँची के ओरमांझी क्षेत्र में 104 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जैविक उद्यान में स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों की 83 प्रजातियों के लगभग 1,450 जानवर हैं।