DRDO ने हथियार प्रणाली का परीक्षण किया | 15 Apr 2024
चर्चा में क्यों?
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण करके एक महत्त्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुँच गया है।
- MPATGM जिसकी मारक क्षमता 2.5 किलोमीटर है, जिसमें पैदल सेना के उपयोग के लिये फायर-एंड-फॉरगेट और शीर्ष हमले की क्षमताएँ हैं।
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान में पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (PFFR) में किये गए परीक्षणों ने उपयोगकर्त्ता टीम के सामने MPATGM के प्रभावशाली प्रदर्शन को प्रदर्शित किया।
- DRDO द्वारा भारत में निर्मित, MPATGM हथियार प्रणाली में MPATGM, मैन पोर्टेबल लॉन्चर, लक्ष्य अधिग्रहण प्रणाली (TAS) और फायर कंट्रोल यूनिट (FCU) शामिल हैं।
- परीक्षण से साबित हुआ है कि सिस्टम भारतीय सेना के जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) द्वारा उल्लिखित पूर्ण परिचालन विशिष्टताओं के भीतर कार्य कर सकता है।
- MPATGM के टेंडेम वारहेड सिस्टम के लिये प्रवेश परीक्षणों का पूरा होना आधुनिक कवच-संरक्षित मुख्य युद्धक टैंकों को हराने की इसकी क्षमता को प्रदर्शित करता है।
- दिन/रात और शीर्ष हमले की क्षमताओं के साथ, यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम टैंक युद्ध स्थितियों में बढ़ी हुई प्रभावशीलता के लिये ड्यूल मोड/दोहरे मोड साधक की सुविधा प्रदान करता है।
- सफल परीक्षण 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
- DRDO रक्षा मंत्रालय का रक्षा अनुसंधान एवं विकास (Research and Development) विंग है, जिसका लक्ष्य भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों से सशक्त बनाना है।
- DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के बाद की गई थी।