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उत्तराखंड

डॉ. विक्रम गुप्ता राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार से सम्मानित

  • 26 Jul 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

24 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक भव्य समारोह में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम गुप्ता को खान मंत्रालय के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार- 2022 (एनजीए) प्रदान किये। 

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार- 2022 (एनजीए) में देश भर के कामकाजी पेशेवरों और शिक्षाविदों सहित 22 भूवैज्ञानिकों ने तीन श्रेणियों-लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिये एक राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार, एक राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार और भूविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में आठ राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार के तहत सम्मान हासिल किया। 
  • लाइफटाइम अचीवमेंट के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार डॉ. ओम नारायण भार्गव (मानद प्रोफेसर भूविज्ञान विभाग पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) को दिया गया। वह पिछले चार दशकों में हिमालय में अपने उल्लेखनीय कार्य के लिये जाने जाते हैं। 
  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमिय कुमार समल को राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने भारतीय सतह के विभिन्न आर्कियन क्रेटन के नीचे उप-महाद्वीपीय लिथोस्फेरिक मेंटल (एससीएलएम) की विविधता को समझने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। 
  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ. विक्रम गुप्ता को एप्लाइड भूविज्ञान के अंतर्गत प्राकृतिक खतरों की जाँच जिसमें भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और सुनामी जैसे प्राकृतिक खतरों से संबंधित वैज्ञानिक अध्ययन शामिल हैं, के लिये डॉ. सईबल घोष (उप-महानिदेशक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, कोलकाता) के साथ संयुक्त रूप से राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रदान किया गया। 
  • डॉ. विक्रम गुप्ता को प्राकृतिक खतरों, विशेषकर हिमालयी इलाके में भूस्खलन के क्षेत्र में अध्ययन में योगदान के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार (एनजीए) से सम्मानित किया गया है। 
  • डॉ. विक्रम गुप्ता ने हिमालयी रीजन में भूस्खलन के बड़े हॉट स्पॉट व संभावित भूस्खलन के स्थलों का पता लगाया है। ये ऐसे बड़े भूस्खलन जोन हैं, जो अपने साथ बहने वाली नदी पर अस्थायी बांध बनाकर आबादी के लिये बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं। हिमाचल के सतलुज में इस तरह का अध्ययन करने के बाद अब वह उत्तराखंड के अलकनंदा घाटी में भी अध्ययन को विस्तार दे रहे हैं। अब तक भूस्खलन पर उनके 85 से अधिक पेपर अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।  
  • उल्लेखनीय है कि 1966 में शुरू हुये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार (एनजीए) उन असाधारण लोगों और संगठनों के लिये सम्मान और प्रशंसा का प्रतीक है, जिन्होंने भूविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता, समर्पण और नवाचार का प्रदर्शन किया है। ये पुरस्कार खनिजों की खोज और अन्वेषण, बुनियादी भूविज्ञान, अनुप्रयुक्त भूविज्ञान और खनन, खनिज अधिशोधन और सतत् खनिज विकास के क्षेत्र में प्रदान किये जाते हैं। 
  • राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2022 के लिये कुल 173 नामांकन प्राप्त हुये थे। तीन पुरस्कार श्रेणियों के तहत वैध नामांकनों की संख्या 168 है। कुल 12 पुरस्कारों में से एएमए ने अंतत: 10 पुरस्कारों का चयन किया है, जिनमें 4 व्यक्तिगत पुरस्कार, 3 टीम पुरस्कार और 3 संयुक्त पुरस्कार शामिल हैं। 4 व्यक्तिगत पुरस्कारों में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार के वास्ते एक पुरस्कार और राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार के लिये एक अन्य पुरस्कार भी शामिल हैंA 

क्र. सं.

पुरस्कार की श्रेणी

पुरस्कारों की संख्या

1.

लाइफटाइम अचीवमेंट के लिये राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 

1 पुरस्कार 

2.

राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक पुरस्कार

8 पुरस्कार (3 टीम पुरस्कार+3 संयुक्त पुरस्कार + 2 व्यक्तिगत पुरस्कार = 20 पुरस्कार विजेता)

3.

राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार

1 पुरस्कार

कुल

10 पुरस्कार (22 पुरस्कार विजेता)

 

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