छत्तीसगढ़
डॉ. ममता चंद्राकर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित
- 24 Feb 2023
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोक गायिका, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति डॉ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित से किया।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में साल 2019, 2020 और 2021 के लिये संगीत नाटक अकादमी की फैलोशिप (अकादमी रत्न) और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) प्रदान किये।
- विदित है कि संगीत नाटक अकादमी, राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी, नई दिल्ली की सामान्य परिषद ने गत 6-8 नवंबर 2022 को नई दिल्ली में हुई अपनी बैठक में सर्वसम्मति से प्रदर्शन कला के क्षेत्र में दस (10) प्रतिष्ठित विभूतियों को अकादमी अध्येता (फेलो) के रूप में चुना है।
- अकादमी की फैलोशिप एक सबसे प्रतिष्ठित और दुर्लभ सम्मान है, जो किसी भी समय 40 तक सीमित है। इन दस (10) अध्येताओं के चयन के साथ ही वर्तमान में संगीत नाटक अकादमी के अब 39 अध्येता हो गए हैं।
- सामान्य परिषद ने वर्ष 2019, 2020 और 2021 हेतु अकादमी पुरस्कार के अंतर्गत संगीत नाटक के लिये संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच, कठपुतली कला और प्रदर्शन कला में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के लिये के क्षेत्र से एक सौ अट्ठाईस (128) कलाकारों का चयन किया था। इन एक सौ अट्ठाईस (128) कलाकारों में तीन संयुक्त पुरस्कार शामिल हैं।
- देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली ममता चंद्राकर खैरागढ़ को 2019 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ममता चंद्राकर को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। वे 2016 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्मश्री से और 2013 छत्तीसगढ़ रत्न में अलंकृत की गईं।
- संगीत नाटक अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के लिये भारत की राष्ट्रीय अकादमी है। 1952 में (तत्कालीन) शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा डॉ. पी.वी. राजमन्नार को इसके पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
- यह वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय है और इसकी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित है।
- अकादमी प्रदर्शन कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों और परियोजनाओं की स्थापना करती है। कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थान हैं:
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली 1959 में।
- जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी, इम्फाल- 1954 में।
- कथक केंद्र (राष्ट्रीय कथक नृत्य संस्थान), नई दिल्ली- 1964 में।
- कुटियाटेम (केरल का संस्कृत थिएटर), पूर्वी भारत के छऊ नृत्य, असम की सत्रिया परंपरा आदि के समर्थन की राष्ट्रीय परियोजनाएँ।
- संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (अकादमी रत्न):
- संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप राष्ट्रीयता, नस्ल, जाति, धर्म, पंथ या लिंग के भेद के बिना संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
- अकादमी की फैलोशिप सबसे प्रतिष्ठित एवं दुर्लभ सम्मान है, जो एक बार में अधिकतम 40 लोगों को दी जा सकती है।
- अकादमी फेलो के सम्मान में एक ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के साथ 3,00,000/- रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है।
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) :
- संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/थिएटर, कठपुतली और प्रदर्शन कला आदि में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के क्षेत्र के कलाकारों को पुरस्कार दिये जाते हैं।
- अकादमी पुरस्कार में ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के साथ 1,00,000/- रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है।