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State PCS Current Affairs

मध्य प्रदेश

ज़िलेवार वित्तीय समावेशन सूचकांक रिपोर्ट का विमोचन

  • 30 Jul 2022
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

29 जुलाई, 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा तैयार की गई ज़िलेवार वित्तीय समावेशन सूचकांक रिपोर्ट का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस कार्यक्रम में नाबार्ड की पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
  • यह मध्य प्रदेश की यह पहली वित्तीय समावेशन रिपोर्ट है। अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ गुड गवर्नेंस एंड पालिसी एनालिसिस (एग्पा) ने यह रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट प्रदेश के विकास में मार्गदर्शन का काम करेगी। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन ने कहा कि मध्य प्रदेश को वित्तीय समावेशन के लिये 5-सी एप्रोच (कंटेंट, केपेसिटी, कम्युनिटी, कम्युनिकेशन और कोलेबरेशन) को अपनाना चाहिये तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मज़बूत करने पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
  • संस्थान की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जी.वी. रश्मि ने बताया कि वित्तीय समावेशन सूचकांक वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिये तैयार किया गया है। सूचकांकों में राज्य में वित्तीय समावेशन में हुई प्रगति के मामले तथा मांग और आपूर्ति संकेतकों को शामिल किया गया है। 
  • वित्तीय समावेशन के स्तर का आकलन करने के लिये वित्तीय सेवाओं के उपयोग में पहुँच, उपयोग के आयामों और बाधाओं का उपयोग किया गया है। 
  • सूचकांक में वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर शून्य से एक का स्कोर दिया गया है। राज्य ने पिछले 2 वर्षों में अपने वित्तीय समावेशन स्कोर में 0.238 से 0.283 तक सुधार किया है। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग सुविधा में शाजापुर, मंडला, बड़वानी, भिंड, मुरैना, सतना, दतिया जैसे 16 ज़िले पिछड़े हुए हैं। इनमें जनजाति बहुल ज़िले ज़्यादा हैं, जबकि भोपाल, इंदौर, रायसेन, धार सहित 17 ज़िलों का प्रदर्शन अच्छा रहा है।
  • बैंक में खाता खुलवाने सहित वित्तीय लेन-देन, एटीएम का उपयोग और डिजिटल बैंकिंग की दृष्टि से ज़िलों को तीन श्रेणी (उच्च वित्तीय समावेशन ज़िले, मध्यम वित्तीय समावेशन ज़िले और कम वित्तीय समावेशन ज़िले) में वर्गीकृत कर रिपोर्ट तैयार की गई है।
  • इस रिपोर्ट का औसत सूचकांक 0.268 रखा गया है। 0.640 के सूचकांक के साथ भोपाल ज़िले ने वित्तीय समावेशन सूचकांक में अग्रणी स्थान हासिल किया है। इस श्रेणी में 17 ज़िले हैं, जिन्हें 0.319 से 0.640 अंक हासिल हुए हैं। 
  • इस अध्ययन में नीति आयोग ने चिह्नित आकांक्षी ज़िले (विदिशा, राजगढ़, दमोह, गुना, छतरपुर, खंडवा, बड़वानी और सिंगरौली) की स्थिति भी प्रस्तुत की है।
  • उच्च वित्तीय समावेशन ज़िले : भोपाल, इंदौर, होशंगाबाद, हरदा, धार, जबलपुर, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, ग्वालियर, नीमच, देवास, रायसेन, छिंदवाड़ा, झाबुआ, नरसिंहपुर और राजगढ़।
  • मध्यम वित्तीय समावेशन ज़िले : शहडोल, बालाघाट, दमोह, सागर, मंदसौर, कटनी, पन्ना, सीधी, छतरपुर, अनूपपुर, बैतूल, विदिशा, उमरिया, सिवनी, अशोकनगर, गुना और खरगौन ज़िले शामिल हैं। इन ज़िलों ने 0.229 से 0.316 अंक प्राप्त किये हैं।
  • कम वित्तीय समावेशन ज़िले : शाजापुर, मंडला, बड़वानी, खंडवा, दतिया, डिंडोरी, सतना, टीकमगढ़, श्योपुर, आलीराजपुर, बुरहानपुर, रीवा, शिवपुरी, सिंगरौली, भिंड और मुरैना ज़िले शामिल हैं। इन ज़िलों ने 0.101 से 0.222 अंक प्राप्त किये हैं।
  • अध्ययन में बताया गया है कि बैंक अधिकारियों से बातचीत में अनिच्छा के चलते जनजातीय समाज के लोग बैंक जाने से बचते हैं। ग्राहक सेवा केंद्रों से भी उनके संबंध अच्छे नहीं बन पा रहे हैं।
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