'दिल्ली चलो पदयात्रा': सोनम वांगचुक | 02 Sep 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जलवायु कार्यकर्त्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में 100 से अधिक स्वयंसेवकों ने दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू किया, जिसमें केंद्र से उनके चार सूत्री एजेंडे पर लद्दाख के नेतृत्व के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया गया।
मुख्य बिंदु:
- ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) द्वारा किया गया था।
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4 सूत्रीय एजेंडा:
- वे राज्य के दर्जे होने का समर्थन कर रहे हैं।
- स्थानीय अधिकारों की रक्षा के लिये संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार।
- लद्दाख के लिये समर्पित लोक सेवा आयोग के साथ भर्ती प्रक्रिया
- लेह और कारगिल ज़िलों के लिये अलग-अलग लोकसभा सीटें।
- वांगचुक ने अपनी मांगों के समर्थन में मार्च माह में 21 दिन की भूख हड़ताल की थी।
- वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, लद्दाख केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रत्यक्ष प्रशासन के तहत एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया।
छठी अनुसूची क्या है?
- अनुच्छेद 244: अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों, स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADC) के गठन का प्रावधान करती है, जिनके पास राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता होती है।
- वर्तमान स्थिति: छठी अनुसूची में चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिये विशेष प्रावधान हैं।
- स्वायत्त ज़िले: इन चार राज्यों में आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्त ज़िलों के रूप में गठित किया गया है। राज्यपाल को स्वायत्त ज़िलों को संगठित और पुनर्गठित करने का अधिकार है।
- ज़िला परिषद: प्रत्येक स्वायत्त ज़िले में एक ज़िला परिषद होती है जिसमें 30 सदस्य होते हैं, जिनमें से चार राज्यपाल द्वारा नामित होते हैं और शेष 26 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं।
- परिषद की शक्तियाँ: ज़िला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत क्षेत्रों का प्रशासन करती हैं।
- वे भूमि, वन, नहर का पानी, झूम खेती, ग्राम प्रशासन, संपत्ति का उत्तराधिकार, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज़ आदि जैसे कुछ निर्दिष्ट मामलों पर कानून बना सकते हैं। लेकिन ऐसे सभी कानूनों को राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है।
- वे जनजातियों के बीच मुकदमों और मामलों की सुनवाई के लिये ग्राम परिषदों या न्यायालयों का गठन कर सकते हैं। वे उनसे अपील सुनते हैं। इन मुकदमों तथा मामलों पर उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
- ज़िला परिषद ज़िले में प्राथमिक विद्यालय, औषधालय, बाज़ार, नौका विहार, मत्स्य पालन, सड़क आदि की स्थापना, निर्माण या प्रबंधन कर सकती है।
- उन्हें भूमि राजस्व का आकलन और संग्रह करने तथा कुछ निर्दिष्ट कर लगाने का अधिकार दिया गया है।