छत्तीसगढ़ में मलेरिया संक्रमण की दर अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर | 30 Jun 2022
चर्चा में क्यों?
28 जून, 2022 को विशेष सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ सह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि बस्तर के साथ-साथ समूचे छत्तीसगढ़ में मलेरिया संक्रमण की दर अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर तक पहुँच चुकी है।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश में मलेरिया से सबसे ज़्यादा प्रभावित बस्तर संभाग में ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ के पहले पाँच चरणों का व्यापक असर दिखा है। पूरे बस्तर संभाग में प्रथम चरण में मलेरिया सकारात्मकता दर जहाँ 4.6 प्रतिशत दर्ज़ की गई थी। वहीं छठवें चरण में यह घटकर मात्र 0.21 ही रह गई है।
- ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ के जनवरी 2020 के प्रथम चरण और छठवें चरण को तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो बस्तर ज़िले में पहले चरण में मलेरिया सकारात्मकता दर 2.05 और छठवें चरण में 0.09 प्रतिशत है।
- इसी प्रकार बीजापुर में पहले चरण में 5.45 और छठवें चरण में 0.44 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 4.69 से 0.41 प्रतिशत, कांकेर में 0.35 से 0.02, कोंडागाँव में 1.30 से 0.05, सुकमा में 5.80 से 0.17 और नारायणपुर में 6.64 प्रतिशत से घटकर 1.90 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है।
- उल्लेखनीय है कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रथम चरण में 64 हज़ार 646 मलेरिया केस दर्ज़ किये गए थे। वहीं छठवें चरण में केवल 7 हज़ार 170 केस पाए गए हैं, जिनका तुरंत इलाज़ किया जा रहा है।
- इस अभियान के छठवें चरण के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा अब तक 7 लाख 6 हज़ार घरों में पहुँचकर 33 लाख 96 हज़ार 998 लोगों की मलेरिया जाँच की जा चुकी है। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए मरीज़ों का मौके पर ही इलाज़ शुरू किया गया।
- पूर्व में ‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान’ के नाम से संचालित इस अभियान के प्रभाव से वहाँ एपीआई (Annual Parasite Incidence) यानि प्रति एक हज़ार की आबादी में सालाना मिलने वाले मलेरिया के मरीज़ों की संख्या में बड़ी कमी आई है।
- अभियान के अंतर्गत मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं द्वारा घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के पहुँच विहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुँचकर सभी लोगों की आरडी किट से मलेरिया की जाँच की गई। पॉजिटिव पाए गए लोगों को मितानिनों की निगरानी में दवाईयों की पूरी खुराक खिलाई गई।
- अभियान के दौरान हर घर और हर व्यक्ति की जाँच सुनिश्चित करने के लिये घरों में स्टीकर चस्पा कर जाँच किये गए लोगों के पैर के अंगूठे में निशान लगाकर मार्क़िग की जाती है।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ से मलेरिया को खत्म करने के लिये ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ का छठवाँ चरण 17 मई से शुरू किया गया है। अभियान के असर को देखते हुए राज्य के 21 ज़िलों तक इसका विस्तार किया जा चुका है।
- इसके तहत छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचलों के साथ समूचे छत्तीसगढ़ में मलेरिया से बचाव हेतु जागरुकता फैलाने संबंधी गतिविधियों की कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है, जिसमें लोगों को मुख्यरूप से मच्छरदानी के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करना, घरों के आस-पास जमा पानी में, नालियों में डीडीटी/जले हुए तेल का छिड़काव करना, स्वच्छता रखने व घरों के आस-पास मच्छर न पनपने के ज़रूरी उपाय बताए जा रहे हैं।