हरियाणा
प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ‘डीसी रेट’ में संशोधन करने का निर्णय
- 05 Oct 2021
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चर्चा में क्यों?
4 अक्टूबर, 2021 को हरियाणा सरकार ने प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ‘डीसी रेट’ में संशोधन करने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु
- डीसी रेट अकुशल (अनस्किल्ड), अर्द्धकुशल (सेमीस्किल्ड) और कुशल श्रमिकों (स्किल्ड) की मज़दूरी होती है, जो उपायुक्तों की अध्यक्षता में ज़िलास्तरीय समिति द्वारा तय की जाती है।
- राज्य सरकार ने इस मामले की समीक्षा कर न्यूनतम मज़दूरी तथा ज़िला विशेष उपभोक्ता मूल्य के सिद्धांतों पर डीसी रेट तय करने का निर्णय लिया है। हरियाणा के मुख्य सचिव के नेतृत्व में सामान्य प्रशासन विभाग सभी श्रेणियों और ज़िलों के लिये डीसी रेट तय करेगा। इससे इन दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा और इससे कर्मचारियों को लाभ होगा।
- डीसी रेट का प्रारंभिक उद्देश्य आसानी से उपलब्ध श्रम दर होना था, जिसका उपयोग, समय की कमी के कारण निविदाओं को आमंत्रित करना संभव न होने की स्थिति में, आपातकालीन स्थिति, जैसे- बाढ़ नियंत्रण कार्यों के लिये श्रमिकों को लगाना आदि के लिये किया जा सकता है। समय के साथ डीसी रेट को गैर-आपातकालीन समय में भी एडहॉक/अस्थायी श्रमिकों/कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये मानक दर के रूप में मान्यता मिल गई।
- इस कार्यप्रणाली में विभिन्न कारक, जैसे- किराए के आवास का मूल्य, सब्जी की कीमतें, स्कूल शुल्क दर आदि शामिल हैं।
- इसमें ज़िलों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, श्रेणी-ए में- ज़िला गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और सोनीपत, श्रेणी-बी में- पानीपत, झज्जर, पलवल, करनाल, अंबाला, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी और जींद तथा श्रेणी-सी में- महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूँह और चरखी दादरी शामिल हैं।
- मज़दूरी समूह के अनुसार, अर्थात् ग्रुप-बी (स्किल्ड), ग्रुप-सी-1 (सेमीस्किल्ड नॉन टेक्निकल), ग्रुप-सी-2 (सेमीस्किल्ड II-टेक्नीकल) और ग्रुप-डी (अनस्किल्ड), लागू की जाएगी। मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये सालाना 5 प्रतिशत की वृद्धि की अनुमति दी जाएगी।