बिहार
चक्रवात 'दाना' का बिहार पर प्रभाव
- 24 Oct 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में चक्रवात 'दाना ' के कारण बिहार में मौसम के पैटर्न में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है, जिसके कारण कई ज़िलों में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है।
प्रमुख बिंदु
- प्रभावित ज़िले: पटना, गया और अन्य आस-पास के क्षेत्रों में भारी वर्षा की संभावना है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने संभावित बाढ़ के लिये तैयार रहने की चेतावनी देते हुए येलो अलर्ट जारी किया है ।
- चक्रवात दाना झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों में भी मौसम की स्थिति को प्रभावित कर रहा है।
- कलर कोडेड मौसम चेतावनी:
- यह IMD द्वारा जारी किया जाता है जिसका उद्देश्य गंभीर या खतरनाक मौसम से पहले लोगों को सचेत करना है जिससे नुकसान, व्यापक व्यवधान या जीवन को खतरा होने की संभावना होती है।
- IMD 4 रंग कोड का उपयोग करता है:
- ग्रीन (सब ठीक है): कोई सलाह जारी नहीं की गई है।
- येलो (सावधान रहें): येलो कलर कई दिनों तक चलने वाले खराब मौसम को दर्शाता है। यह यह भी बताता है कि मौसम और भी खराब हो सकता है, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में व्यवधान आ सकता है।
- नारंगी/अंबर (तैयार रहें): नारंगी अलर्ट अत्यंत खराब मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिससे सड़क और रेल मार्ग बंद होने से आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होने एवं विद्युत् आपूर्ति बाधित होने की संभावना रहती है।
- रेड (कार्यवाही करें): जब अत्यंत खराब मौसम की स्थिति निश्चित रूप से यात्रा और विद्युत् को बाधित करने वाली हो तथा जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण खतरा पैदा करने वाली हो, तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
- ये चेतावनियाँ सार्वभौमिक प्रकृति की होती हैं तथा बाढ़ के दौरान भी जारी की जाती हैं, जो अत्यधिक वर्षा के परिणामस्वरूप भूमि/नदी में जल की मात्रा पर निर्भर करती हैं।
- उदाहरण के लिये, जब किसी नदी का जल 'सामान्य' स्तर से ऊपर या 'चेतावनी' और 'खतरे' के स्तर के बीच होता है, तो येलो अलर्ट जारी किया जाता है।
चक्रवात
- चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास तेज़ी से अंदर की ओर वायु का संचार होता है। वायु उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में घूर्णन करती है।
- चक्रवातों के साथ प्रायः तेज़ तूफान और खराब मौसम भी आता है।
- चक्रवात शब्द ग्रीक शब्द साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है साँप की कुंडली। इसे हेनरी पेडिंगटन ने गढ़ा था क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र के कुंडलित साँपों की तरह दिखाई देते हैं।
- चक्रवात दो प्रकार के होते हैं:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात; और
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात (जिन्हें शीतोष्ण चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात या ललाटीय चक्रवात अथवा तरंग चक्रवात भी कहा जाता है)।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' शब्द का प्रयोग उन मौसम प्रणालियों के लिये करता है जिनमें वायु की गति 'गेल फोर्स' (न्यूनतम 63 किमी प्रति घंटा) से अधिक होती है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में विकसित होते हैं। वे उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जल पर विकसित होने वाली बड़े पैमाने की मौसम प्रणालियाँ हैं, जहाँ वे सतही वायु परिसंचरण में संगठित हो जाती हैं।
- शीतोष्ण चक्रवात समशीतोष्ण क्षेत्रों और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में आते हैं, हालाँकि वे ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं।