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छत्तीसगढ़

गोमूत्र खरीद योजना

  • 29 Jul 2022
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

28 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग ज़िले के पाटन विकासखंड के ग्राम करसा में छत्तीसगढ़ के पहले त्योहार ‘हरेली’के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में गोमूत्र खरीदकर ‘गोमूत्र खरीद योजना’का विधिवत शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो पशुपालक ग्रामीणों से दो रुपए किलो में गोबर खरीदी के बाद अब 4 रुपए लीटर में गोमूत्र की खरीदी कर रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में ‘गोधन न्याय योजना’की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को हरेली पर्व के दिन से हुई थी। इसके तहत गोठनों में पशुपालक ग्रामीणों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है।
  • देशभर में गोबर की खरीदी के ज़रिये बड़े पैमाने पर जैविक खाद का निर्माण और उसके उपयोग की बेजोड़ सफलता ही गोमूत्र की खरीदी का आधार बनी है।
  • गोमूत्र खरीदी का उद्देश्य गोठानों में इससे जैविक कीटनाशक, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर का निर्माण करना है, ताकि राज्य के किसानों को कम कीमत पर जैविक कीटनाशक सहजता से उपलब्ध कराया जा सके। इसके पीछे मकसद यह भी है कि खाद्यान्न उत्पादन की विषाक्तता को कम करने के साथ ही खेती की लागत को भी कम किया जा सके।
  • अब गोठानों में गोमूत्र की खरीदी कर महिला समूहों के माध्यम से इससे जैविक कीटनाशक तैयार किये जाएंगे, जिसे किसानों को रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाएगा। इन जैविक कीटनाशकों की कीमत बाज़ार में मिलने वाले महँगे रासायनिक कीटनाशक पेस्टिसाइड की कीमत से काफी कम होगी। 
  • कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गोमूत्र कीटनाशक, रासायनिक कीटनाशक का बेहतर और सस्ता विकल्प है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक होती है। खेतों में इसके छिड़काव से सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण में मदद मिलती है। पत्ती खाने वाले, फल छेदन एवं तना छेदक कीटों के प्रति गोमूत्र कीटनाशक का उपयोग ज़्यादा प्रभावकारी है। इसका उपयोग कृषि-पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिये भी बेहतर है।
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ‘सुराजी गाँव योजना’के ‘गरवा’ घटक के तहत राज्य के 8408 गाँव में गोठान निर्मित एवं संचालित हैं, जहाँ पशुओं की देखरेख चारा-पानी का नि:शुल्क प्रबंध है। इन गोठनों में ‘गोधन न्याय योजना’के तहत विगत 2 वर्षों से गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे महिला समूह जैविक खाद एवं अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं।
  • राज्य में बीते 2 सालों में 76 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की गई है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता ग्रामीण पशुपालकों को 153 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है। महिला समूहों ने क्रय गोबर से अब तक 22 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट प्लस का उत्पादन कर राज्य के किसानों को खेती में उपयोग के लिये उपलब्ध कराया है।
  • गोठानों में गोबर से जैविक खाद के निर्माण के साथ-साथ महिलाएँ अन्य मूलक गतिविधियाँ भी संचालित कर रही हैं, जिनसे उन्हें बीते 2 सालों में 74 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हुई है।
  • गोठानों में महिला समूह द्वारा जैविक खाद के साथ-साथ अब जैविक कीटनाशक तैयार किये जाने से राज्य में जैविक खेती को और बढ़ावा मिलेगा। इससे पशुपालक ग्रामीणों को अतिरिक्त आय तथा महिला समूहों को रोज़गार और आय का ज़रिया भी मिलेगा।
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