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छत्तीसगढ़

निजी क्षेत्र में स्थापित देश का पहला मछली अनुसंधान केंद्र

  • 01 Dec 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

30 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले के ग्राम रामपुर में थाईलैंड के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से मछली अनुसंधान केंद्र स्थापना की गई है। निजी क्षेत्र में स्थापित होने वाला यह केंद्र छत्तीसगढ़ और देश में अपने तरह का पहला केंद्र है।

प्रमुख बिंदु 

  • राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी डॉ. सी. सुवर्णा ने अपनी दो-दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान रामपुर में संचालित मछली पालन की एक्वा जेनेटिक केंद्र का अवलोकन किया। साथ ही डॉ. सुवर्णा ने बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले के सिमगा विकासखंड के ग्राम बाईकोनी में स्थित प्रतिदिन 100 टन उत्पादन की क्षमता वाले वृहद निजी मत्स्य आहार केंद्र का शुभारंभ भी किया।
  • एक्वा जेनेटिक के इस केंद्र की स्थापना एम हेचरी रायपुर एवम् मनीत ग्रुप थाईलैंड के संयुत्त उपक्रम द्वारा की गई है। इस अनुसंधान केंद्र में थाईलैंड के वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ ही प्रशिक्षण भी देंगे।
  • लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैले इस अनुसंधान केंद्र में मछली के जेनेटिक्स पर अनुसंधान के साथ-साथ तिलापिया मछली बीज का उत्पादन भी किया जा रहा है। इसके अलावा यहाँ मत्स्य कृषकों को मछली पालन के अत्याधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
  • ग्राम रामपुर में स्थापित अनुसंधान केंद्र से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के किसानों को उन्नत किस्म के मछली के बीज की आपूर्ति हो सकेगी। इससे छत्तीसगढ़ मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करेगा। इसके अलावा वृहद मत्स्य आहार केंद्र के प्रारंभ होने से प्रदेश के किसानों को स्थानीय स्तर पर कम दर पर मत्स्य आहार प्राप्त हो सकेगा।
  • गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। अब यहाँ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईयाँ भी आगे आ रही हैं।
  • डॉ. सुवर्णा ने सिमगा विकासखंड के ग्राम खेरवारी में बंद हो चुके खदानों में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा केज कल्चर विधि से किये जा रहे मछली पालन का भी अवलोकन किया। समूह द्वारा यहाँ मछली पालन के लिये 12 केज तैयार किये गए हैं। इसके लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत और डी.एम.एफ से 40 प्रतिशत अनुदान दिया गया है।
  • अपने प्रवास के दौरान डॉ. सुवर्णा ने रायपुर ज़िले के तिल्दा विकासखंड के ग्राम पीकरीडीह स्थित वृहद बायोफ्लोक यूनिट का भी अवलोकन किया। इस यूनिट की स्थापना के लिये कृषक अंजू मिश्रा को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि अनुदान में मिला है। इस इकाई में तिलापिया और सिंगी मछली का पालन किया जा रहा है।  
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