मसूरी में देश के पहले कार्टोग्राफी संग्रहालय का हुआ उद्घाटन | 04 Oct 2023

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में उत्तराखंड के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के सुरम्य शहर मसूरी में देश के पहले कार्टोग्राफी संग्रहालय जॉर्ज एवरेस्ट कार्टोग्राफी संग्रहालय का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट में 23 करोड़ 52 लाख रुपए की लागत से बने सर जॉर्ज एवरेस्ट संग्रहालय का उद्घाटन और हेलीपैड का उद्घाटन किया।
  • पर्यटन मंत्री ने देश के पहले मानचित्रण संग्रहालय को महान गणितज्ञ राधानाथ सिकदर और पंडित नैन सिंह रावत को समर्पित किया।
  • विदित है कि संग्रहालय पार्क एस्टेट में स्थित है, जो प्रसिद्ध सर्वेक्षक सर जॉर्ज एवरेस्ट का निवास स्थान हुआ करता था, जिनके नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया था। यह पहाड़ी शहर के हाथीपाँव क्षेत्र में है। सर एवरेस्ट इस घर में 1832 से 1843 तक रहे थे और यह मसूरी में बने पहले घरों में से एक है।
  • 1832 में बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस को एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की सहायता से, पर्यटन विभाग ने 23.5 करोड़ रुपए के बजट के साथ इसका नवीनीकरण किया है।
  • संग्रहालय में मानचित्रकला के इतिहास, मानचित्रकला से संबंधित उपकरणों, महान भारतीय सर्वेक्षणकर्त्ताओं और महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण के बारे में जानकारी दी गई है।
  • इस म्यूजियम में सर जॉर्ज एवरेस्ट के साथ ही सर्वेयर नैन सिंह रावत के पत्रों को भी रखा जाएगा। इसके साथ ही सर्वेयर किशन सिंह नेगी, गणितज्ञ राधानाथ सिकदर की ऑब्जर्वेटरी से भी लोग रूबरू होंगे।
  • कार्टोग्राफिक म्यूजियम में पर्यटक जीपीएस की कार्यप्रणाली भी जान पाएंगे, जिसके लिये ग्लोब तैयार किया गया है। म्यूजियम को आधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है, जैसे कि सैटेलाइट कैसे काम करते हैं? उनमें जीपीएस और संचार प्रणाली कैसे ऑपरेट की जाती है? इसकी जानकारी भी प्राप्त की जा सकेगी।
  • इस म्यूजियम में आने वाले पर्यटक जिस उपकरण के सामने खड़े होंगे, उसकी पूरी जानकारी डिस्प्ले हो जाएगी, जिसे विशेष सॉफ्टवेयर के ज़रिये संचालित किया जाएगा तथा क्यूआर कोड स्कैन करते ही सारी जानकारी मोबाइल पर मिल जाएगी।
  • उल्लेखनीय है कि कार्टोग्राफी खोज करने और मानचित्र बनाने के बारे में है। यह वास्तविक या काल्पनिक स्थानों को दिखाने के लिये विज्ञान, कला और तकनीकी कौशल का उपयोग करता है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि चीज़ें कहाँ स्थित हैं।