यमुनोत्री रोप-वे निर्माण के लिये हुआ अनुबंध | 24 Feb 2023
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में यमुनोत्री रोप-वे परियोजना के लिये प्रदेश के पर्यटन विभाग और निजी निर्माण कंपनी ‘एसआरएम इंजीनियरिंग एवं एफआईएल इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड’के बीच अनुबंध किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्तावित जानकीचट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री धाम के लिये 38 किमी. लंबे रोप-वे निर्माण के लिये वन मंत्रालय से क्लीयरेंस पहले ही मिल चुका है। रोपवे का संचालन पीपीपी मोड पर होगा। इस रोप-वे पर करीब 167 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- इस रोप-वे के बनने से यमुनोत्री धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को छह किमी. पैदल नहीं चढ़ना पड़ेगा। रोप-वे से मात्र 15 से 20 मिनट में यमुनोत्री पहुँच सकेंगे। श्रद्धालुओं को जानकीचट्टी (खरसाली) पैदल मार्ग के जरिये करीब 11 हज़ार फुट की ऊँचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम पहुँचने में अभी करीब तीन घंटे का समय लगता है।
- इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रोप-वे परियोजना के बनने के बाद यमुनोत्री धाम अपने शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से जुड़ जाएगा और श्रद्धालु माँ यमुना के दर्शन के लिये सुगमता से पहुँच सकेंगे और प्रदूषण मुक्त प्राकृतिक सौंदर्य का लाभ उठा सकेंगे। रोप-वे बनने से श्रद्धालुओं को सुविधा मिलने के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी लोगों के रोज़गार के संसाधन बढ़ेंगे।
- प्रदेश के पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि 38 किमी. लंबाई का पीपीपी मोड पर बनने वाला यह रोप-वे मोनोकेबल डिटैचबल प्रकार का होगा जिसका निर्माण यूरोपीय मानकों के अनुसार फ्राँस और स्विटजरलैंड की तर्ज पर किया जाएगा।
- पर्यटन सचिव ने बताया कि इस रोपवे की यात्री क्षमता एक घंटे में लगभग 500 लोगों को ले जाने की होगी जबकि एक कोच में एक बार में आठ यात्री जा सकेंगे। रोप-वे का लोअर टर्मिनल खरसाली में 1.787 हेक्टेयर भूमि पर जबकि अपर टर्मिनल 0.99 हेक्टेयर भूमि पर यमुनोत्री में बनाया जाएगा।