झारखंड
झारखंड में मोटे अनाज की खेती को मिलेगा बढ़ावा
- 27 Jan 2023
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चर्चा में क्यों?
26 जनवरी, 2023 को झारखंड कृषि विभाग ने भारत सरकार के आदेश के आलोक में मोटे अनाज (मिलेट्स) को भी बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके लिये अब विभाग की इकाई समिति ने 10 करोड़ रुपए की योजना बनाई है।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना में आने वाले सालों में झारखंड के विभिन्न ज़िलों में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है। राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की पूरी संभावनाएँ हैं। यहाँ पहले कई प्रकार के मोटे अनाज उत्पन्न होते थे।
- उल्लेखनीय है कि कृषि विभाग पिछले दो साल से अपने बड़े कार्यक्रम में मोटे अनाज के उत्पाद ही अतिथियों को परोसता है। कृषि विभाग की कार्यशाला में मडुआ की रोटी, मडुआ का पीठा, छिलका रोटी आदि परोसा जाता है।
- कृषि विभाग मोटे अनाज की उपयोगिता और संभावना पर राज्य से लेकर प्रखंड स्तर पर सेमिनार का आयोजन करेगा।
- ज्ञातव्य है कि भारत सरकार वर्ष 2023 को मिलेट्स ईयर के रूप में मना रहा है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने भी योजना तैयार की है। इसमें मोटे अनाज पर काम करने वाले विशेषज्ञों की राय भी ली जाएगी।
- झारखंड में रागी उत्पादन की अच्छी संभावना है। एपिडा की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में 15 हज़ार टन के करीब रागी का उत्पादन होता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में यहाँ 18 हज़ार टन के करीब उत्पादन हुआ था। ज्वार का भी उत्पादन करीब एक हज़ार टन हो रहा है। यह तब हो रहा है, जब सरकार की प्राथमिकता सूची में यह नहीं था।
- इकाई समिति के निदेशक अजय कुमार ने बताया कि राज्य में वर्षों पहले से मोटे अनाज की खेती होती थी। यहाँ के जनजातीय समुदाय मोटे अनाज की भरपूर की खेती करते थे। बाज़ार नहीं होने के कारण इसको बढ़ावा नहीं मिल सका।
- उन्होंने बताया कि अब मोटे अनाज को बाज़ार की दिक्कत नहीं है। यह बाज़ार में काफी महंगा भी बिक रहा है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह पूरी तरह आर्गेनिक फसल है। इसमें कीटनाशक की ज़रूरत नहीं होती है और यह कम पानी में तैयार हो जाता है।
- विदित है कि झारखंड में समय-समय पर सूखा पड़ जाता है। इसको देखते हुए झारखंड के लिये मोटे अनाज की खेती काफी कारगर साबित होगी।