हसदेव अरंड वन क्षेत्र में कोयला खदान परियोजना पर लगी रोक | 11 Jun 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने सरगुजा संभाग के हसदेव अरंड वन क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित तीन आगामी कोयला खदान परियोजनाओं पर रोक लगा दी है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि इन परियोजनाओं के खिलाफ स्थानीय लोगों और कार्यकर्त्ताओं के कड़े विरोध के कारण राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है।
- खनन परियोजनाओं को रोके जाने की पुष्टि करते हुए सरगुजा के ज़िलाधिकारी संजीव झा ने बताया कि तीन आगामी परियोजनाएँ- परसा, परसा पूर्व और कांते बासन (पीईकेबी) का दूसरा चरण तथा कांते एक्सटेंशन कोयला खदान, जो खदान शुरू होने से पहले विभिन्न चरणों में है, को आगामी आदेश तक के लिये रोक दिया गया है।
- तीनों खदानें आरआरवीयूएनएल को आवंटित की गई हैं तथा अडानी समूह एमडीओ (माइन डेवलपर और ऑपरेटर) के रूप में इससे जुड़ा है। क्षेत्र की जिन खदानों में काम चल रहा है, वहाँ काम जारी रहेगा।
- स्थानीय लोगों का दावा है कि कोयला खदान से जैवविविधता और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचेगा। पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हसदेव अरंड वन क्षेत्र में खनन न केवल आदिवासियों को विस्थापित करेगा, बल्कि क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष भी बढ़ेगा।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने राजस्थान सरकार के आग्रह पर हाल ही में परसा खदान और पीईकेबी के दूसरे चरण की कोयला खनन परियोजनाओं के लिये अंतिम मंज़ूरी दी थी।