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छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने ‘आदि विद्रोह’ सहित 44 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का किया विमोचन

  • 10 Aug 2022
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

9 अगस्त, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम में आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘आदि विद्रोह’एवं 44 अन्य पुस्तकों का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में वन अधिकार के प्रति ग्राम सभा जागरूकता अभियान के कैलेंडर, अभियान गीत तथा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (चारगाँव ज़िला धमतरी) के वीडियो संदेश का भी विमोचन किया।
  • आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा जल-जंगल-ज़मीन शोषण, उत्पीड़न से रक्षा एवं भारतीय स्वतंत्रता के लिये समय-समय पर आदिवासियों द्वारा किये गए विद्रोहों एवं देश की स्वतंत्रता हेतु विभिन्न आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा को प्रदर्शित करने आदि विद्रोह, छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह एवं स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी जननायक पुस्तिका तैयार की गयी है।
  • इस पुस्तक में 1774 के हलबा विद्रोह से लेकर 1910 के भूमकाल विद्रोह एवं स्वतंत्रता पूर्व तक के विभिन्न आंदोलन में जिनमें राज्य के आदिवासी जननायकों की भूमिका का वर्णन है।
  • इस कॉफीटेबल बुक का अंग्रेज़ी संस्करण The Tribal Revolts Tribal Heroes of Freedom Movement and the Tribal Rebellions of Chhattisgarh के नाम से प्रकाशित किया गया है।
  • आदिवासी व्यंजन: राज्य के उत्तरी आदिवासी क्षेत्र, जैसे- सरगुजा, जशपुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपूर आदि, मध्य आदिवासी क्षेत्र, जैसे- रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, कबीरधाम, राजनांदगाँव, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी एवं दक्षिण आदिवासी क्षेत्र, जैसे- कांकेर, कोंडागाँव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा एवं बीजापुर ज़िलों में निवासरत् जनजातियों में उनके प्राकृतिक पर्यावास में उपलब्ध संसाधनों एवं उनकी जीवन शैली को प्रदर्शित करने वाले विशिष्ट प्रकार के व्यंजन एवं उनकी विधियाँ अभिलेखीकृत की गई हैं।
  • छत्तीसगढ़ की आदिम कला: छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर मध्य एवं दक्षिण क्षेत्र के ज़िलों में निवासरत् जनजातीय समुदायों में उनके दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुओं, घरों की दीवारों में उकेरे जाने वाले भित्ति चित्र, विशिष्ट संस्कारों में प्रयुक्त ज्यामितीय आकृतियाँ आदि सदैव आदिकाल से जनसामान्य के लिये आकर्षण का विषय रही हैं। इनमें सामान्य रूप से दीवारों व भूमि पर बनाए जाने वाली कलाकृति, बांस व रस्सी से निर्मित शिल्पाकृति एवं महिलाओं के शरीर में गुदवाई जाने वाली गोदनाकृति या डिज़ाइनों के स्वरूप तथा उनके पारंपरिक ज्ञान को अभिलेखीकृत किया गया है।
  • छत्तीसगढ़ के जनजातीय तीज-त्योहार: राज्य के उत्तरी क्षेत्र की पहाड़ी कोरवा जनजाति का कठौरी व सोहराई त्योहार, उरांव जनजाति का सरहुल व करमा त्योहार, खैरवार जनजाति का बनगड़ी व जिवतिया त्योहार आदि, मध्य क्षेत्र की बैगा जनजाति का छेरता व अक्ती त्योहार, कमार जनजाति का माता पहुँचानी व अक्ती त्योहार, बिंझवार जनजाति का ज्योतियाँ व चउरधोनी त्योहार, राजगोंड जनजाति का उवांस व नवाखाई त्योहार आदि, राज्य के दक्षिण क्षेत्र या बस्तर संभाग की अबुझमाड़िया जनजाति का माटी तिहार व करसाड़ त्योहार, मुरिया जनजाति का कोहकांग व माटी साड त्योहार, हलबा जनजाति का बीज बाहड़ानी व तीजा चौथ एवं परजा जनजाति का अमुस या हरेली, बाली परब त्योहार के सदृश्य राज्य की अन्य जनजातियों के भी त्योहारों का अभिलेखीकरण किया गया है।
  • मानवशास्त्रीय अध्ययन: राज्य की 9 जनजातियों, यथा- राजगोंड़ धुरवा, कंडरा, नागवंशी, धांगड़, सौंता, पारधी, धनवार एवं कोंध जनजाति का मानवशास्त्रीय अध्ययन पुस्तक तैयार की गई, जिसमें जनजातियों की उत्पत्ति, सामाजिक संगठन, राजनीतिक जीवन, धार्मिक जीवन एवं सामाजिक संस्कार आदि का वर्णन किया गया है।
  • मोनोग्राफ अध्ययन: राज्य की जनजातियों की जीवन-शैली से संबंधित 21 बिंदुओं पर मोनोग्राफ अध्ययन किया गया है, जिसमें गोंड, हलबा, पहाड़ी कोरवा, कमार, मझवार तथा खड़िया जनजातियों का प्रथागत कानून, उरांव का सरना उत्सव, उरांव जनजाति में सांस्कृतिक परिवर्तन, दंतेवाड़ा की फागुन मड़ई, नारायणपुर की मावली मड़ई, घोटपाल मड़ई, भंगाराम जात्रा, बैगा गोदना, भुजिया गोदना, भुंजिया जनजाति का लाल बंगला, कमार जनजाति में बांस बर्तन निर्माण, कमार जनजाति में हाट बाजार, बैगा जनजाति में हाट बाजार, खैरवार जनजाति में कत्था निर्माण विधि एवं सरगुजा संभाग में हड़िया एवं मंद निर्माण विधि संबंधी प्रकाशन किये गए हैं।
  • भाषा बोली: राज्य की जनजातियों में प्रचलित उनकी विशिष्ट बोलियों के संरक्षण के उद्देश्य से सादरी बोली में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका, दोरली बोली में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका, गोंडी बोली में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका, गोंडी बोली दंडामी माड़िया में शब्दकोष एवं वार्तालाप संक्षेपिका का निर्माण किया गया है।
  • प्राइमर्स: राज्य की जनजातीय बोलियों के प्रचार-प्रसार एवं प्राथमिक स्तर के बच्चों को उनकी मातृभाषा में अक्षर ज्ञान प्रदान करने हेतु प्राइमर्स प्रकाशन का कार्य किया गया है। इस कड़ी में गोंडी बोली में गिनती चार्ट, गोंडी बोली में वर्णमाला चार्ट, बैगानी बोली में वर्णमाला चार्ट, बैगानी बोली में गिनती चार्ट एवं बैगानी बोली में बारहखड़ी चार्ट आदि शामिल हैं। इसके अलावा अन्य पुस्तकों में राजगोंड, धुरवा, कंडरा, नागवंशी, धांगड, सौंता, पारधी, धनवार, कोंध पर पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं।
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