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मध्य प्रदेश

मुख्यमंत्री ने कूनो में 12 और चीतों को छोड़ा

  • 20 Feb 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

18 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्योपुर ज़िले में स्थित कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को बाड़े में छोड़ा। इनमें 7 नर चीते और 5 मादा चीते शामिल हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • दक्षिण अफ्रीका से लाए गए इन 12 चीतों को मिलाकर अब कूनो में 20 चीते हो गए हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म-दिन 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए 8 चीतों को कूनो में छोड़ा था।
  • उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का पालपुर कुनो राष्ट्रीय उद्यान वन्य-जीव प्रेमियों के लिये सबसे अनूठा गंतव्य है। कूनों में करधई, खैर और सलाई की बहुतायत वाले लुभावने जंगल हैं और विशाल घास के मैदानों में दर्जनों की संख्या में घास चरते हुए वन्यजीव हैं।
  • यह क्षेत्र लगभग 350 वर्ग किमी. के अभयारण्य के रूप में शुरू हुआ था और एक पत्ती के आकार का था जिसके बीचों - बीच में एक रीढ़ की हड्डी की तरह कुनो नदी बहती है। यह नदी न केवल जंगल में एक निरंतर पानी की आपूर्ति रखने और जंगल की सिंचाई करने में मदद करती है, बल्कि इससे इस संरक्षित क्षेत्र का नाम भी पड़ा है।
  • कूनो नेशनल पार्क/कूनो वन्य-जीव डिवीजन और आसपास का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से वन्य-जीवों से समृद्ध रहा है। यह क्षेत्र प्राचीन काल में भी घने जंगल के रूप में जाना जाता था। कूनो नदी के आसपास का क्षेत्र प्राचीन काल से जैव विविधता से समृद्ध रहा है।
  • राज्य सरकार ने इस स्थान के महत्त्व को महसूस करते हुए वर्ष 1981 में लगभग 3300 वर्ग किमी. के बड़े वन क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 345 वर्ग किमी. के कूनो वन्य-जीव अभयारण्य की स्थापना की। वन्य-जीव संरक्षण को और मजबूत करने और इस क्षेत्र के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये अतिरिक्त 891 वर्ग किमी. क्षेत्र को बफर के रूप में जोड़कर वर्ष 2002 में 1235 वर्ग किमी. के कूनो वन्य-जीव प्रभाग की स्थापना की गई।
  • क्षेत्र में शुष्क घास के मैदान और उष्णकटिबंधीय नदी वाले वन शामिल हैं। यह पशुओं की विभिन्न प्रजातियों में समान रूप से समृद्ध है। यह क्षेत्र वन्य-जीव के लिये विभिन्न अनुकूल कारकों का एक दुर्लभ रहवास स्थल है। इस क्षेत्र को चीतों के के पुनर्वास लिये सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में पहचाना गया।
  • कूनो नेशनल पार्क के वन क्षेत्र में मुख्य रूप से करधई, सलाई, खैर के पेड़ों का वर्चस्व है, जो ज्यादातर मिश्रित जंगलों के बीच हैं। इससे वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ होने में भी मदद मिलती है। कुल मिलाकर, 123 प्रजातियों के पेड़, झाड़ियों की 71 प्रजातियाँ, बेलों और विदेशी वनस्पति की 32 प्रजातियाँ, बाँस और घास की 34 प्रजातियाँ कूनो नेशनल पार्क में पाई जाती हैं।
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