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छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन, पशुचालित कल्टीवेटर और प्लांटर किया लॉन्च

  • 29 Jul 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

28 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग ज़िले के पाटन विकासखंड के ग्राम करसा में छत्तीसगढ़ के पहले त्योहार ‘हरेली’के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कंप्लीट एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन, पशुचालित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर की लॉन्चिंग की।

प्रमुख बिंदु

  • एग्रीकल्चर ड्रोन के माध्यम से 4 एकड़ खेतों में आधे घंटे के भीतर दवा का छिड़काव हो सकेगा। अमूमन एक किसान को इसके लिये 1 एकड़ हेतु 3 घंटे का वक्त लगता है। मशीन के माध्यम से दवा की मात्रा भी निर्धारित की जा सकेगी।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में छिड़काव के लिये लेबर मिलने में भी परेशानी होती है। इसके माध्यम से किसानों की समय की बचत भी होगी और समूहों की आय भी बढ़ेगी।
  • एग्रीकल्चर ड्रोन सॉल्यूशन के साथ ही एग्री एम्बुलेंस भी होगी, जिसमें एग्रीकल्चर लैब की सुविधा भी होगी। इसमें किसान सॉइल टेस्टिंग आदि करा सकेंगे। इसमें खेती-किसानी के लिये संपूर्ण सुविधा होगी। इसमें जैविक खाद की उपलब्धता भी होगी।
  • उल्लेखनीय है कि यह पीपीपी मॉडल पर काम करेगा। 20 गाँव में एक मशीन के माध्यम से कार्य हो सकेगा। यह कार्य समूह करेगा। ड्रोन के संचालन के लिये समूह के युवाओं को ही प्रशिक्षित किया जाएगा। समूह के सदस्य इससे तकनीकी रूप से दक्ष हो सकेंगे। इससे उन्हें खेती-किसानी के अतिरिक्त अन्य आजीविकामूलक गतिविधियों के लिये पर्याप्त समय मिल सकेगा।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित कृषि कार्य आसान बनाने वाले दो तरह के कृषि यंत्रों-पशुचलित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर को भी लॉन्च किया।
  • कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इन यंत्रों के इस्तेमाल से किसानों को कृषि कार्य में लगने वाले समय में कमी आएगी, साथ ही लागत में भी कमी होगी। बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर और प्लांटर के उपयोग से पशुओं पर भी बोझ कम पड़ेगा।
  • द्वितीयक जुताई के लिये पशुचालित बैटरी ऑपरेटेड कल्टीवेटर कृषकों की समस्या का निदान कर सकता है। इस कल्टीवेटर की सहायता से 1 हेक्टेयर खेत की 5-7 घंटे में एक बार द्वितीयक जुताई की जा सकती है। इससे जहाँ मवेशियों को कम बल लगाना पड़ेगा, वहीं कृषक भी सीट पर बैठकर आसानी से पूरे यंत्र को संचालित कर सकता है। इस पूरे यंत्र की लागत करीब 55-60 हज़ार रुपए है।
  • पशुचालित बैटरी ऑपरेटेड प्लांटर की सहायता से कतारबद्ध बीज-से-बीज की दूरी बनाए रखते हुए बुआई की जा सकेगी। इस प्लांटर को कतार-से-कतार के बीच की दूरी फसल के अनुसार 20 से 50 सेमी. तक व्यवस्थित कर सकते हैं। प्लांटर की लागत लगभग 20-25 हज़ार रुपए है।
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