इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी ने किया करपात्री महाराज वेदशास्त्र अनुसंधान केंद्र का लोकार्पण

  • 24 Jun 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

22 जून, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय से वर्चुअल माध्यम से देवप्रयाग स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में स्वामी करपात्री महाराज की स्मृति में वेद शास्त्र अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया। 

प्रमुख बिंदु  

  • वर्चुअल उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार को यह बड़ी सौगात दी है जो देववाणी संस्कृत के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने करपात्री महाराज के नाम से केंद्र बनाए जाने पर कहा कि इससे परिसर का महत्त्व बढ़ेगा।  
  • विदित है कि धर्मसम्राट स्वामी करपात्री भारत के एक संत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनेता थे। इनका जन्म सन् 1907 ईस्वी में श्रावण मास, शुक्ल पक्ष द्वितीया को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले के भटनी ग्राम में सनातनधर्मी सरयूपारीण ब्राह्मण रामनिधि ओझा एवं श्रीमती शिवरानी जी के आँगन में हुआ।  
  • बचपन में उनका नाम ‘हरि नारायण’रखा गया। वे दशनामी परंपरा के संन्यासी थे। दीक्षा के उपरांत उनका नाम ‘हरिहरानंद सरस्वती’था किंतु वे ‘करपात्री’नाम से ही प्रसिद्ध थे, क्योंकि वे अपनी अंजुलि का उपयोग खाने के बर्तन की तरह करते थे (कर = हाथ, पात्र = बर्तन, करपात्री = हाथ ही बर्तन हैं जिसके)।  
  • उन्होने ‘अखिल भारतीय राम राज्य परिषद' नामक राजनैतिक दल भी बनाया था। धर्मशास्त्रों में इनकी अद्वितीय एवं अतुलनीय विद्वत्ता को देखते हुए इन्हें ‘धर्मसम्राट’की उपाधि प्रदान की गई। 
  • स्वामी करपात्री महाराज ने 1940 में जबरन मुसलमान बनाए गए लोगों को फिर से हिंदू बनाया था। 1966 में करपात्री महाराज ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ गौ संवर्धन को लेकर आंदोलन शुरू किया था। 
  • 7 फरवरी, 1982 को केदारघाट वाराणसी में स्वेच्छा से उनके पंच प्राण महाप्राण में विलीन हो गए। उनके निर्देशानुसार उनके नश्वर पार्थिव शरीर का केदारघाट स्थित श्री गंगा महारानी को पावन गोद में जल समाधि दी गई।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2