बिहार
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी स्व. रामबहादुर सिंह और स्व. पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्मचारी’ की आदमकद प्रतिमा का किया अनावरण
- 31 Oct 2023
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चर्चा में क्यों?
27 अक्तूबर, 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सहरसा ज़िले के पंचगछिया ग्राम के भगवती प्रांगण में ‘कोसी का गांधी’स्वातंत्र्यवीर स्व. रामबहादुर सिंह और उनके ज्येष्ठ पुत्र स्वतंत्रता सेनानी स्व. पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्मचारी’की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रामबहादुर बाबू का जन्म 1901 ई. में हुआ था और उनकी मृत्यु 1950 ई. में हुई थी। 1919 ई. में रामबहादुर बाबू स्वामी सहजानंद सरस्वती के संपर्क में आए और अंग्रेज़ों द्वारा लाए गए काले कानून ‘रॉलेट एक्ट’का विरोध करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी।
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को सफल बनाने के लिये रामबहादुर बाबू ने 1920 ई. में सैकड़ों लोगों के साथ मिलकर कोसी सेवक दल का गठन किया और कोसी क्षेत्र में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया तथा खादी ग्राम उद्योग की शुरुआत की।
- 1925 ई. में जब गांधीजी बिहार आए थे और पूर्णिया, अररिया, फारबिसगंज आदि जगहों पर गए तो भ्रमण के दौरान रामबहादुर बाबू उनके साथ रहे थे। 1930 ई. में उन्होंने गांधीजी के नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी भाग लिया।
- वर्ष 1934 ई. में जब बिहार में भूकंप आया था और गांधीजी भूकंप पीड़ितों से मिलने मुंगेर पहुँचे थे तो पंचगछिया ग्राम भी आकर रामबहादुर बाबू से मिले थे, क्योंकि इनका घर भी भूकंप में ध्वस्त हो गया था। ऐसी स्थिति में भी रामबहादुर बाबू की धर्मपत्नी कुंती देवी ने अपना धन बापू के समक्ष दान में दे दिया था, ताकि पीड़ितों की मदद की जा सके। 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में भी रामबहादुर बाबू ने सक्रिय भूमिका निभाई थी।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि रामबहादुर बाबू के पुत्र पद्मानंद सिंह ‘ब्रह्माचारी’ने भी 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। पद्मानंद सिंह का जन्म वर्ष 1921 में और मृत्यु वर्ष 2016 में हुई थी।