मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में की बड़ी घोषणा | 07 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
6 मार्च, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना के राशि अंतरण कार्यक्रम के दौरान राज्य के किसानों के हित में एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि किसान खाद-बीज के अग्रिम उठाव की तरह सोसाइटियों और गौठानों से वर्मी कंपोस्ट एवं सुपर कंपोस्ट का भी अग्रिम उठाव कर सकेंगे।
प्रमुख बिंदु
- इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर बेचने वाले पशुपालक ग्रामीणों सहित गौठान समितियों तथा महिला स्व-सहायता समूहों को कुल 5 करोड़ 38 लाख रुपए की राशि का ऑनलाइन अंतरण किया।
- इसके साथ ही उन्होंने गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को उनकी गतिविधियों के बेहतर संचालन के लिये एंडवास राशि उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना से 2 लाख 8 हज़ार से ज़्यादा लोगों को लाभ हो रहा है। इनमें 45 प्रतिशत महिलाएँ हैं। राज्य में अभी तक 10 हज़ार 591 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 8 हज़ार 48 गौठान निर्मित हो चुके हैं।
- राज्य के 2800 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो राज्य में निर्मित एवं संचालित गौठानों की संख्या का एक-तिहाई से भी अधिक है। ये स्वावलंबी गौठान अब पशुपालक ग्रामीणों से गोबर खरीदी में स्वयं की पूंजी का निवेश करने लगे हैं।
- गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी के एवज में ग्रामीणों और पशुपालकों को अब तक कुल 131 करोड़ 93 लाख रुपए का भुगतान किया गया जा चुका है। गोबर खरीदी के एवज में गौठान समितियों को अब तक 48.05 करोड़ रुपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों को 31.34 करोड़ रुपए के लाभांश का भुगतान किया जा चुका है।
- इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रवींद्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की गौठान और गोधन न्याय योजना की पूरे देश में चर्चा हो रही है। देश के अलग-अलग राज्य इस योजना को अपने यहाँ लागू कर रहे हैं।
- गोधन न्याय योजना को झारखंड ने जस-का-तस अपने राज्य में लागू करने का निर्णय लेते हुए इसे अपने बजट में शामिल किया है। वहीं उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहाँ के लोगों से गोबर खरीदी की योजना शुरू करने का वादा किया। इससे पहले भी संसद में कृषि मामलों की स्थायी समिति गोधन न्याय योजना को पूरे देश में लागू करने की मांग कर चुकी है।
- 4 मार्च, 2022 को भारत सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग ने ट्वीट करके पूरे देश को बताया है कि बस्तर और दंतेवाड़ा की महिलाएँ किस तरह महुआ-लड्डू, चाय, जैम, जेली और कुकीज जैसे खाद्य पदार्थ तैयार करके खुद को आर्थिक रूप से मज़बूत कर रही हैं।