मुख्यमंत्री ने नरवा विकास योजना में 300 करोड़ रुपए के कार्यों का शुभारंभ किया | 18 Jun 2022
चर्चा में क्यों?
17 जून, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में वन विभाग द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘नरवा विकास’ के तहत वर्ष 2022-23 में प्रदेश के 40 वन मंडलों में कैंपा मद से 300 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत कार्यों का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- उन्होंने प्रदेश में वर्ष 2020 में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य के लिये 432 समितियों के 4 लाख 72 हज़ार संग्राहकों को 34 करोड़ 41 लाख रुपए की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित भी की।
- इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में वन वृत्त स्तर पर रायपुर, बिलासपुर, कांकेर, जगदलपुर और सरगुजा में वनोपजों और उत्पादों की गुणवत्ता के परीक्षण के लिये स्थापित प्रयोगशालाओं का लोकार्पण किया। साथ ही उन्होंने महासमुंद वन मंडल में 5 करोड़ रुपए की लागत से ईको-टूरिज़्म विकास के कार्यों का भी शुभारंभ किया।
- मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वनांचल में हरियाली लाने तथा लोगों की आय में वृद्धि के लिये नरवा विकास योजना महत्त्वपूर्ण है। इसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए नरवा विकास कार्यक्रम को एक अभियान का रूप दिया जाएगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि भेंट-मुलाकात के दौरान जानकारी मिली की वन क्षेत्रों में इन कार्यों से जल स्तरों में लगभग 30 सेंटीमीटर, जबकि मैदानी क्षेत्रों में जलस्तर में लगभग 7 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है।
- उन्होंने कहा कि नरवा विकास के कार्य से वन क्षेत्रों में वन्यजीवों और पशु-पक्षियों के लिये न सिर्फ जल की उपलब्धता होगी, बल्कि खेती करने वाले भी दो फसलें ले सकेंगे, इससे बायो डायवर्सिटी को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
- मुख्यमंत्री ने कुछ ज़िलों में नेट से महुआ कलेक्शन के प्रारंभ हुए कार्य का ज़िक्र करते हुए कहा कि इससे महुआ संग्राहकों को अच्छा फायदा हो रहा है, इसी तर्ज़ पर नेट के माध्यम से चार-चिरौंजी का भी संग्रहण किया जाएगा।
- वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि भू-जल के संरक्षण और संवर्धन सहित नालों को पुनर्जीवित करने में नरवा विकास एक बहुउपयोगी योजना है। इसके लिये नरवा विकास कार्यों से जल स्तर में वृद्धि तथा सिंचाई के रकबे में वृद्धि के आकलन की भी तैयारी की जा रही है।
- वन मंत्री ने बताया कि राज्य में वनवासियों के हित में लघु वनोपजों के संग्रहण से लेकर प्रसंस्करण आदि व्यवस्था के ज़रिये उन्हें अधिक-से-अधिक लाभ दिलाने के लिये सतत् प्रयास हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों के संग्रहण के मामले में देश में अव्वल है। वर्तमान में देश के लगभग तीन-चौथाई लघु वनोपजों का संग्रहण छत्तीसगढ़ में होता है।