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छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री ने किया निर्भया कमांड और कंट्रोल सेंटर का शुभारंभ

  • 28 Sep 2023
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

  • 27 सितंबर, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय से परिवहन विभाग द्वारा महिलाओं के सुरक्षित सफर के लिये निर्मित निर्भया कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (जीपीएस) का वर्चुअल शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके अलावा परिवहन विभाग की दो अन्य महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का भी वर्चुअल शुभारंभ किया, जिसमें अनफिट वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने हेतु रायपुर व दुर्ग में ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर के साथ ही विभिन्न लिंकेज मार्गों से गुज़र रहे वाहनों की मॉनिटरिंग के लिये ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन कैमरा स्थापित करने से जुड़ी परियोजनाएँ शामिल हैं।
  • छत्तीसगढ़ में यात्री बसों में महिलाओं एवं स्कूल बसों में विद्यार्थियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये निर्भया फ्रेमवर्क के अंतर्गत सभी स्कूल बस में पैनिक बटन लगाया जाएगा और व्हीकल ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से गाड़ियों की ट्रैकिंग कि जाएगी।
  • पैनिक बटन लगने से बस में किसी प्रकार की दुर्घटना, छेड़छाड़ होने पर पैनिक बटन दबाने से तुरंत निर्भया कमांड सेंटर और पुलिस विभाग के डायल 112 को सूचना मिल जाएगी।
  • इसके साथ ही बसों की लोकेशन, स्पीड आदि का भी पता चलता रहेगा। इससे बसें नियंत्रित गति से चलेंगी, जिससे हादसे की आशंका भी कम हो जाएगी। जीपीएस सिस्टम का कंट्रोल रूम डायल 112 के कार्यालय में बनाया गया है।
  • इस व्यवस्था के शुरू होने से जनता को किसी तरह के खतरे तथा अनहोनी से निपटने में काफी सहूलियत होगी। वर्तमान में प्रदेश में कुल 12 हज़ार बसें संचालित हो रही हैं, जो अलग-अलग रूट से प्रदेश के कोने-कोने तक जा रही हैं। इसी तरह राज्य में लगभग 6000 स्कूल बस भी संचालित हैं। बसों में पैनिक बटन और जीपीएस के लगने से बसों की पल-पल की जानकारी मिलेगी।
  • नवीन व्यवस्था के तहत स्कूल बस के रूट में भी मैप रहेगा, ताकि स्कूल बस यदि बच्चों को लेकर निर्धारित रूट के अलावा कहीं जाए तो ऑटोमेटिक अलर्ट आ जाए। इसके लिये कंट्रोल रूम में शिफ्ट के हिसाब से चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी, जो लगातार सभी बस को मॉनिटर करते रहेंगे और इमरजेंसी की स्थिति में पुलिस विभाग को सूचित करेंगे।
  • क्या है जीपीएस?
    • ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, यानी जीपीएस एक ऐसा उपकरण है, जिसे अगर गाड़ी में फिट कर दिया जाए तो एक निर्धारित सर्वर पर गाड़ी की लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। जीपीएस सिस्टम लगने से आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगेगा तथा बसों के सही रूट की जानकारी मिल सकेगी।
    • महिला और बच्चों की सुरक्षा के लिये राज्य की सभी स्कूल बस और यात्री बस को पैनिक बटन सुसज्जित जीपीएस के माध्यम से मॉनिटर किया जाएगा। इसके लिये निर्भया कमांड सेंटर बनाया गया है।
  • पैनिक बटन दबाते ही पुलिस को मिलेगी सूचना
    • परिवहन विभाग के आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिये परिवहन विभाग ने कई नवाचारी पहल की है। इसी कड़ी में सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं के सुरक्षित यातायात को बढ़ावा देने के लिये निर्भया फंड के तहत भारत सरकार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के निर्देश अनुसार व्हीकल ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म स्थापित किया गया है।
    • परियोजना के अंतर्गत राज्य में संचालित यात्री वाहनों में जीपीएस एवं पैनिक बटन लगेगा। किसी भी आपात् स्थिति में पैनिक बटन दबाने से तत्काल ही सूचना परिवहन विभाग के कमांड एवं कंट्रोल सेंटर के माध्यम से पुलिस विभाग के डायल 112 को प्राप्त हो जाएगी, जिससे महिलाओं एवं बच्चों का यात्री वाहनों में सफर सुरक्षित होगा और आपात् स्थिति में उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी।
  • वाहनों की तेज़ी से होगी फिटनेस की जाँच
    • परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश में वाहनों की बढ़ती संख्या और दुर्घटनाओं को देखते हुए रायपुर और दुर्ग में आटोमेटेड फिटनेस सेंटर की स्थापना की गई है। फिटनेस सेंटर में मेन्युअल की तुलना में अधिक वाहनों का फिटनेस टेस्ट किया जा सकता है।
    • फिटनेस सेंटर में माल वाहनों का फिटनेस टेस्ट ऑटोमेटेड मशीनों द्वारा किया जाएगा और टेस्ट में फेल होने वाले वाहनों को सड़क पर नहीं चलने दिया जाएगा। सड़कों में फिट वाहनों का परिचालन हो, इसमें ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर बड़ा मददगार साबित होगा और कम समय में अधिक-से-अधिक वाहनों का टेस्ट किया जा सकेगा।
    • गौरतलब है कि रायपुर और दुर्ग के बाद बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, कोरबा, रायगढ़, राजनांदगाँव में आटोमेटिक फिटनेस सेंटर स्थापित करने की कार्रवाई की जा रही है।
  • बिना वैध दस्तावेज़ वाले वाहनों पर होगी कार्रवाई
    • परिवहन विभाग द्वारा आज शुरू हुई तीसरी परियोजना आटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरा विथ ई-डिटेक्शन है। परियोजना अंतर्गत ऐसे वाहनों पर कार्यवाही की जाएगी, जो राजमार्ग में संचालित न होकर विभिन्न लॉकेज मार्गों से गुज़र रहे हैं।
    • इन लॉकेज मार्गों पर एएनपीआर कैमरा स्थापित किया जा रहा है, एएनपीआर कैमरे के माध्यम से प्राप्त होने वाली गाड़ियों की जानकारी को वाहन सॉफ्टवेयर के डाटाबेस से मिलान कर बिना वैध दस्तावेज़ के चलने वाली गाड़ियों पर ई-चालान किया जाएगा।
    • इस हेतु एनआईसी के सहयोग से ई-डिटेक्शन सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। ई-डिटेक्शन सॉफ्टवेयर के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा से भी जानकारी प्राप्त कर बिना वैध दस्तावेज़ के गुज़रने वाली गाड़ियों पर चालान कार्यवाही शुरू कर दी गई है।

 

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