मुख्यमंत्री ने प्रदान किये टाइगर रिज़र्व में सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार | 10 Aug 2022
चर्चा में क्यों?
9 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एक बड़ी पहल करते हुए राज्य के दो बड़े टाइगर रिज़र्व में कोर एवं बफर क्षेत्र में वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम, 2006 के तहत 10 ग्रामसभाओं को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार-पत्र प्रदान किये।
प्रमुख बिंदु
- 10 ग्रामसभाओं में अचानकमार टाइगर रिज़र्व की 5 ग्रामसभाएँ एवं सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व की 5 ग्रामसभाएँ शामिल हैं।
- अचानकमार टाइगर रिज़र्व की जिन 5 ग्रामसभाओं को अधिकार प्रदान किये गए हैं, वो मुंगेली ज़िला के क्षेत्र हैं, जिनमें से 4 गाँव कोर एवं 1 गाँव बफर क्षेत्र का है। इनमें महामाई को 1384.056 हेक्टेयर, बाबूटोला को 1191.6 हेक्टेयर, बम्हनी को 1663 हेक्टेयर, कटामी को 3240 हेक्टेयर एवं मंजूरहा ग्रामसभा को 661.74 हेक्टेयर पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रदान किये गए।
- सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व में राज्य में पहली बार एक साथ संयुक्त रूप से सामुदायिक वन संसाधन अधिकार धमतरी ज़िले के सीतानदी टाइगर रिज़र्व की तीन ग्रामसभा- लिखमा, बनियाडीह तथा मैनपुर को 1811.53 हेक्टेयर में मान्य किया गया है। उल्लेखनीय है कि तीनों ग्रामों की पारंपरिक सीमाएँ एक ही हैं, परंतु आबादी बढ़ने के कारण इन्हें तीन गाँव में विभक्त कर दिया गया था।
- टाइगर रिज़र्व के उदंती क्षेत्र का जो हिस्सा गरियाबंद ज़िले में पड़ता है, उसके बफर क्षेत्र की ग्रामसभा कुल्हाड़ीघाट को 1321.052 हेक्टेयर पर तथा ग्रामसभा कठवा को 1254.57 हेक्टेयर पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रदान किये गए हैं। गौरतलब है कि ग्रामसभा कुल्हाड़ीघाट पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी का गोद ग्राम है।
- इस प्रकार मुख्यमंत्री द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर कुल 12,527.548 हेक्टेयर क्षेत्रफल के सामुदायिक वन संसाधन अधिकार देकर टाइगर रिज़र्व की ग्रामसभाओं को अपने वन क्षेत्र की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन का अधिकार दिया गया।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकार मान्यता-पत्र के तहत आदिवासियों और वन क्षेत्रों के परंपरागत निवासियों को दी गई भूमि के विकास और उपयोग तथा उनके अधिकारों के संबंध में गाँव-गाँव में ग्राम सभाओं के माध्यम से 15 अगस्त से 26 जनवरी तक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिससे वे वनों के संरक्षण और विकास में बेहतर योगदान देने के साथ वनोपजों के संग्रहण और वेल्यू एडिशन से अपनी आय में वृद्धि कर सकेंगे।