छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने मध्य प्रदेश से लाए जाएंगे बाघ
- 20 Dec 2022
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चर्चा में क्यों?
19 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिये मध्य प्रदेश से बाघ लाए जाने सहित कई अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रस्ताव के अनुसार मध्य प्रदेश से से लाये गए बाघों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। इसके साथ ही साथ बारनवापारा अभयारण्य में भी बाघों के लिये अनुकूल परिस्थितियों के चलते टाइगर छोड़े जाएंगे।
- छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में इसके साथ ही वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण, वन्य प्राणी मानव द्वंद रोकने के अनेक प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
- मुख्यमंत्री ने वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये वनों की 10 किलोमीटर की परिधि के गांवों में आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने, वन्य प्राणियों की सुरक्षा की दृष्टि से वन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क को मजबूत बनाने, हाथी मानव द्वंद रोकने जागरूकता अभियान को गति देने और वन्य प्राणियों के लिये पानी और चारागाह विकसित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में इनसे संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
- छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिये ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा प्रस्ताव दिया गया था, जिसके क्रियान्वयन की अनुमति बैठक में दी गई। जिसके तहत अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ मध्य प्रदेश से लाकर छोड़े जाएंगे।
- अधिकारियों ने बताया कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में वन्यप्राणियों के लिये जल स्त्रोतों, चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके।
- बोर्ड की बैठक में बलौदाबाजार ज़िले के बारनवापारा अभयारण्य में फिर से टायगरों को पुनर्स्थापित करने के लिये टाइगर छोड़ने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई।
- बारनवापारा अभयारण्य में वर्ष 2010 तक टाइगर पाए जाते थे। टाइगर रि-इंट्रोडक्शन एवं टाइगर रिकव्हरी प्लान के तहत ख्याति प्राप्त वन्यप्राणी संस्थान से हैबिटेट सुटेबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी, जिसकी स्वीकृति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त होने के बाद इस अभयारण्य में बाघ पुनर्स्थापना का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
- अधिकारियों ने बैठक में बताया कि शाकाहारी वन्य प्राणियों को विभिन्न प्रजनन केंद्रों एवं अन्य स्थानों से लाकर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों के प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया है।
- बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में हाथियों के लिये चारागाह, पानी आदि की व्यवस्था करने से हाथी मानव द्वंद की घटनाओं में काफी कमी हुई है। लगभग 11 हज़ार 314 हेक्टेयर चारागाह विकसित किए गए हैं। लगभग 80 हज़ार हेक्टेयर में खाद्य घास की प्रजातियां लगाई गई हैं।
- बैठक में भारत माला परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर निर्माण के लिये उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में केशकाल एवं कांकेर वनमंडल के लगभग 64 वन क्षेत्र तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा चिन्हांकित इद्रांवती- उदंती-सीतानदी-सुनाबेड़ा टाइगर कॉरिडोर के 7 वन कक्षों से गुजरने वाले लगभग 3.5 किलोमीटर राजमार्ग में प्रस्तावित इकानॉमिक कॉरिडोर निर्माण के लिये अनुमति दी गई।
- इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा। इस तरह भोपालपट्टनम से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में चिंतावागु नदी पर नवीन पुल निर्माण की अनुमति दी गई। यह प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को अनुमति के लिये भेजा जाएगा। इस नवीन पुल एवं पहुंच मार्ग का निर्माण इद्रांवती टाइगर रिजर्व के बफर जोन के 1.177 हेक्टेयर रकबे के अंतर्गत आता है।
- बैठक में वन क्षेत्रों में बेहतर संचार की सुविधा के लिये ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने और मोबाइल टॉवर लगाने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। इससे जहां वन प्राणी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। वहीं वन क्षेत्रों के गांवों में पीडीएस सिस्टम, धान खरीदी, वृद्धावस्था पेंशन, बैंकिंग और ऑनलाइन पढ़ाई में आसानी होगी।
- बैठक में वनभैंसों में कृत्रिम गर्भाधान करने की अनुमति भी प्रदान की गई। इस प्रस्ताव के अनुसार वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया तथा LaCONES, CCMB हैदराबाद के विशेषज्ञों एवं वन विभाग में पदस्थ पशु चिकित्सकों के देख-रेख में वीर्य निकालने का कार्य किया जाएगा तथा इस उपयोग मादा वनभैंसों के कृत्रिम गर्भाधान हेतु किया जाएगा।