मतदान प्रतिशत वृद्धि में स्वयं सहायता समूहों का योगदान | 06 May 2024
चर्चा में क्यों?
लोकसभा चुनाव- 2024 के तीसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिये छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले में एक पहल ध्यान आकर्षित कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं से मिलने, इमली के पत्ते और पीले चावल वितरित करने जैसे पारंपरिक तरीकों का प्रयोग कर मतदान में अधिक सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- इस प्रयास ने न केवल ग्रामीणों में उत्साह जगाया है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में सामुदायिक भागीदारी की शक्ति का भी प्रदर्शन किया है।
- इस पहल को ज़िला प्रशासन का भी पूरा समर्थन प्राप्त है।
स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups - SHG
- स्वयं सहायता समूह (SHG) उन लोगों के अनौपचारिक संघ हैं जो अपने जीवन स्तर में सुधार के तरीके खोजने के लिये एक साथ संगठित होते हैं।
- इसे समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले और सामूहिक रूप से एक सामान्य उद्देश्य को पूरा करने के इच्छुक लोगों के स्व-शासित, सहकर्मी-नियंत्रित सूचना समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- स्व-रोज़गार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिये SHG "स्वयं सहायता" की धारणा पर निर्भर करता है।
- उद्देश्य:
- रोज़गार और आय सृजन गतिविधियों के क्षेत्र में गरीबों तथा हाशिये पर मौजूद लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करना।
- सामूहिक नेतृत्व एवं आपसी विचार-विमर्श के माध्यम से विवादों का समाधान करना।
- बाज़ार संचालित दरों पर समूह द्वारा तय की गई शर्तों के साथ संपार्श्विक मुक्त ऋण प्रदान करना।
- संगठित स्रोतों से उधार लेने का प्रस्ताव करने वाले सदस्यों के लिये सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
- गरीब अपनी बचत इकट्ठा करके बैंकों में जमा करते हैं। बदले में उन्हें अपना सूक्ष्म इकाई उद्यम शुरू करने के लिये कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण प्राप्त होता है।