छत्तीसगढ़
विधानसभा में छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 पारित
- 23 Mar 2023
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चर्चा में क्यों?
22 मार्च, 2023 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 प्रस्तुत और पारित हुआ। छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है, जहाँ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक पारित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि 17 मार्च, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में मंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया था।
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए बताया कि जितने भी पत्रकार हैं, चाहे वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के हों, चाहे प्रिंट मीडिया के हों या पोर्टल के हों, जो ऑफिस में काम करते हैं और वे भी जो गाँव में काम करते हैं, ऐसे लोगों को छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा हो सके।
- जिनके पास अधिमान्यता पत्र नहीं है उनका रजिस्ट्रेशन करने का, अगर प्रेस कहता है कि वे हमारे साथ हैं और जो लगातार छह महीने के अंदर उसमें तीन लेख लिखे हों या उनकी स्टोरी छपी हो, ऐसे लोगों को भी छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है।
- यदि कोई शासकीय कर्मचारी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो उनकी शिकायत के लिये अधिकार संपन्न समिति बनाया गया है। यह समिति प्रदेश स्तर की होगी, जिसमें पत्रकार, अधिकारीगण होंगे, छह लोगों की समिति बनेगी, जो सुनवाई करेगी और आवश्यक निर्देश भी दे सकेगी और दंड का भी प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई समिति के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो अपील का भी प्रावधान रखा गया है। लेकिन यदि कोई गलत शिकायत करता है तो उसके लिये दंड का प्रावधान भी रखा गया है।
- उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अफताब आलम की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति बनी थी, जिसके सदस्य न्यायमूर्ति सेवानिवृक्त न्यायाधीश अंजना प्रकाश, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चंद्रन, वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय ललित सुरजन, प्रकाश दुबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग, महाधिवक्ता, विधि विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक इसके सदस्य थे।
- इस समिति ने राज्य और दिल्ली में अनेक बैठकें करके विभिन्न संगठनों से चर्चा के बाद इसका प्रारूप बनाया और उसके बाद इस प्रारूप को विभाग को सौंपा गया, विभाग द्वारा लंबा विचार-विमर्श करके इसको विधेयक का रूप दिया गया।
- राज्यपाल से अनुमति लेकर इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया गया और विधानसभा में यह विधेयक पारित हुआ। ऐसा विधेयक जो मूल विधेयक है और जो पहली बार छत्तीसगढ़ की विधानसभा में प्रस्तुत हुआ, विपक्ष को भी इसमें अपनी राय रखनी थी। हालाँकि सर्वानुमति से इस विधेयक को पारित किया गया।