आर्थिक अपराध ब्यूरो की छूट के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के नियम | 26 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध जाँच ब्यूरो को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के प्रावधानों से छूट देते हुए 7 नवंबर, 2006 की अधिसूचना कथित अधिनियम की धारा 24(4) के पहले प्रावधान का खण्डन करती है।
मुख्य बिंदु:
- निर्णय के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना सरकार को उक्त ब्यूरो द्वारा की गई संवेदनशील और गोपनीय गतिविधियों से संबंधित जानकारी को छोड़कर, ब्यूरो से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित जानकारी को रोकने की अनुमति नहीं दे सकती है।
- इस फैसले के आलोक में न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
- 15 नवंबर, 2016 को RTI कार्यकर्त्ता और याचिकाकर्त्ता ने एक आवेदन दायर कर आर्थिक अपराध जाँच ब्यूरो से जानकारी मांगी थी।
- जवाब में आर्थिक अपराध विभाग ने यह कहते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया कि राज्य सरकार ने 7 नवंबर, 2006 को जारी अधिसूचना के जरिये एजेंसी को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने से छूट दे दी है।
- इस अधिसूचना को चुनौती देते हुए, RTI कार्यकर्त्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 24 (4) में उल्लेख है कि किसी भी संस्थान को भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित जानकारी प्रदान करने से छूट नहीं दी जा सकती है।
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005
- सूचना का अधिकार अधिनियम एक विधायी ढाँचा है जो भारतीय नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों के पास उपलब्ध जानकारी को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। वर्ष 2005 में अधिनियमित इस अधिनियम का उद्देश्य सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और भागीदारी को बढ़ावा देना है।
- इसने सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 को प्रतिस्थापित किया है।
- RTI अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, इस अधिनियम के प्रावधान वर्ष 1923 के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, मौजूदा कानूनों अथवा इस अधिनियम के अलावा अन्य कानूनों के माध्यम से स्थापित किसी भी समझौते के साथ किसी भी विरोधाभास के बावजूद प्रभावी होंगे।