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State PCS Current Affairs

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ कम बेरोज़गार वाले राज्यों में निरंतर बना सिरमौर

  • 02 Sep 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सीएमआईई द्वारा जारी किये गए नए आँकड़ों के अनुसार अगस्त 2022 में छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी दर 4 प्रतिशत है, जबकि देश में बेरोज़गारी दर 8.3 प्रतिशत है।

प्रमुख बिंदु

  • छत्तीसगढ़ पिछले कई महीनों से सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में उच्च स्थान पर बना हुआ है। छत्तीसगढ़ में साढ़े तीन साल में शहरी-ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संतुलित करने तथा रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने वाली योजनाओं का असर है।
  • जुलाई महीने में छत्तीसगढ़ की बेरोज़गारी दर 8 प्रतिशत रही। मई महीने में 0.7 प्रतिशत तथा मार्च-अप्रैल महीने में छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर सबसे कम 0.6 प्रतिशत रही।
  • सीएमआईई द्वारा जारी किये गए नए आँकड़ों के अनुसार अगस्त में बेरोज़गारी दर बिहार में 8 प्रतिशत, गोवा में 13.7 प्रतिशत, गुजरात में 2.6 प्रतिशत, हरियाणा में 37.3 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 7.3 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 32.8 प्रतिशत, कर्नाटक में 3.5 प्रतिशत तथा मध्य प्रदेश में 2.6 प्रतिशत दर्ज की गई है।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसी योजनाओं पर ज़ोर दिया गया तथा क्रियान्वयन किया गया, जिनसे रोज़गार के नए अवसर सृजित हों। सरकार बनने के साथ ही कर्ज़ माफी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि जैसी योजनाओं से शुरुआत की गई।
  • छत्तीसगढ़ सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन किसान न्याय योजना, नई औद्योगिक नीति का निर्माण, वन तथा कृषि उपजों के संग्रहण की बेहतर व्यवस्था, उपजों का स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण तथा वैल्यू एडीशन, ग्रामीण औद्योगिक पार्कों की स्थापना, लघु वनोपजों के संग्रहण दर में वृद्धि तथा 65 तरह के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीद, तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर में वृद्धि, मछली पालन तथा लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा, परंपरागत शिल्पियों, बुनकरों तथा उद्यमियों को प्रोत्साहन, हर ज़िले में सी-मार्ट की स्थापना जैसे अनेक कदम उठाए गए।
  • गोधन न्याय योजना का विस्तार करते हुए गोमूत्र खरीदी की शुरुआत की गई है। खरीदे गए गोमूत्र से भी खाद तथा कीटनाशकों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे रोज़गार के नए अवसरों का सृजन हो रहा है।
  • गाँव-गाँव में निर्मित गोठानों को भी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में उन्नत किया जा रहा है, जहाँ तेल मिल, दाल मिल, मिनी राइस मिल जैसी प्रोसेसिंग इकाईयाँ स्थापित की जा रही हैं। गोठानों में विभिन्न उत्पादों का भी निर्माण किया जा रहा है।
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