छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन | 10 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने कोयला खनन के लिये बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई के खिलाफ हसदेव अरण्य में प्रस्तावित नागरिकों के ‘प्रोटेस्ट मार्च’ को अपना समर्थन व्यक्त किया है।
- हसदेव अरंड के जंगलों को जैवविविधता से समृद्ध माना जाता है, हसदेव नदी का जलग्रहण क्षेत्र अविकसित क्षेत्रों में पीने के पानी के लिये महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है।
मुख्य बिंदु:
- छत्तीसगढ़ में परसा पूर्व और काँटा बासन (PEKB) कोयला ब्लॉकों के लिये हसदेव में 137 हेक्टेयर जैवविविधता वाले जंगल की कटाई से हानिकारक प्रभाव पड़ेगा। जिसमें हसदेव नदी का प्रभावित होना, मानव-हाथी संघर्ष में वृद्धि एवं स्थानीय जैवविविधता के लिये नकारात्मक परिणाम शामिल हैं।
- सघन वन क्षेत्र के नीचे कुल 5 अरब टन कोयला होने का अनुमान है।
- नवीनतम वनोन्मूलन PEKB के लिये मंज़ूरी के दूसरे चरण का प्रतीक है; पहले चरण में राजस्थान और पड़ोसी राज्य में विद्युत की आपूर्ति हेतु कोयला निष्कर्षण के लिये खनन गतिविधियों को मंज़ूरी देना शामिल था।
- जारी वनोन्मूलन से उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले के सहली, तारा, जनार्दनपुर, घाटबर्रा, फतेहपुर और हरिहरपुर जैसे पड़ोसी गाँवों के 700 मूल परिवारों की आजीविका विस्थापित तथा प्रभावित होगी।
- हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, हसदेव वन बचाओ समिति के आदिवासी अधिकार कार्यकर्त्ताओं के साथ-साथ ग्रामसभा के नेता भी लगातार पेड़ों की कटाई का सक्रिय रूप से विरोध कर रहे हैं।
- हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र (HACF) में खनन गतिविधियाँ:
- HACF लगभग 1,880 वर्ग किमी. में फैला हुआ है, जिसमे 23 कोयला ब्लॉक शामिल हैं।
- वर्ष 2009 में केंद्र सरकार द्वारा इस क्षेत्र को खनन के लिये 'नो-गो ज़ोन' घोषित किया गया था।
- खनन की मांग में वर्ष 2010 के दौरान वृद्धि हुई, जब छत्तीसगढ़ सरकार ने PEKB कोयला क्षेत्रों के लिये वन भूमि को स्थानांतरित करने हेतु वन मंज़ूरी की सिफारिश की।
- वर्ष 2012 में, PEKB कोयला खदानों के चरण-I में खनन हेतु पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF) द्वारा वन मंज़ूरी प्रदान की गई थी।
- हालाँकि इससे संबंधित मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं, मार्च 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार ने PEKB कोयला ब्लॉक में खनन के दूसरे चरण को मंज़ूरी दे दी।
हसदेव अरण्य वन
- छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में फैला हुआ हसदेव अरण्य वन क्षेत्र अपनी जैवविविधता और कोयला भंडार के लिये जाना जाता है।
- यह वन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण आदिवासी आबादी वाले ज़िलों कोरबा, सुजापुर और सरगुजा के अंतर्गत आता है।
- महानदी की सहायक नदी हसदेव यहाँ से प्रवाहित होती है।
- हसदेव अरण्य मध्य भारत का सबसे बड़ा अखंडित जंगल है जिसमें प्राचीन साल (शोरिया रोबस्टा) और सागौन के जंगल शामिल हैं।
- यह एक प्रसिद्ध प्रवासी गलियारा है, जिसमें हाथियों की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है।