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बिहार

छठ पूजा

  • 09 Nov 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

छठ पर्व का तीसरा दिन, जिसे सांझका अराग या शाम का अर्घ्य कहा जाता है, 7 नवंबर को मनाया गया। छठ पर्व सदियों से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता रहा है।

मुख्य बिंदु

  • छठ:
    • छठ पूजा सूर्य की पूजा के लिये समर्पित चार दिवसीय त्योहार है।
    • इसमें बिना पानी के कठोर उपवास रखा जाता है और जल में खड़े होकर उषा (उगते सूर्य) और प्रत्यूषा (डूबते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाता है।
    • यह त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता है ।
  • उत्पत्ति और विश्वास:
    • ऐसा माना जाता है कि यह प्रकृति पूजा पर आधारित एक प्राचीन परंपरा है।
      • रामायण में, भगवान राम और देवी सीता ने अयोध्या में विजयी होकर लौटने के बाद सूर्य के लिये उपवास और यज्ञ किया था।
      • महाभारत में द्रौपदी ने व्रत रखा और सूर्य की प्रार्थना की, जबकि कर्ण ने सूर्य के सम्मान में एक समारोह आयोजित किया।
  • छठ अनुष्ठान:
    • पहला दिन (नहा खा): भक्तगण अपना पहला भोजन करने से पहले नदी या तालाब में स्नान करते हैं। 
    • दूसरे दिन (खरना): व्रती केवल एक बार भोजन करते हैं । ठेकुआ बनाने की शुरुआत होती है और भोजन के बाद 36 घंटे का उपवास शुरू होता है।
    • तीसरा दिन (सांझा अर्घ्य): भक्तगण डूबते सूर्य को सांझा अर्घ्य (शाम का अर्घ्य) देते समय फल और दीये जलाने के लिये नदी के किनारे जाते हैं। अर्घ्य में मौसमी फल जैसे शकरकंद, सिंघाड़ा, चकोतरा और केले शामिल होते हैं।
    • चौथा दिन (भोर का अर्घ्य): उगते सूर्य के लिये भोर में यही अनुष्ठान दोहराया जाता है। अर्घ्य देने के बाद, भक्त घर लौट आते हैं, जो त्योहार के समापन का प्रतीक है।
  • छठ का अंतर्निहित संदेश:
    • यह त्यौहार यह संदेश देता है कि ईश्वर की दृष्टि में सभी लोग समान हैं और प्रकृति पवित्र है तथा उसका सम्मान किया जाना चाहिये।
    • यह जीवन की चक्रीय प्रकृति पर प्रकाश डालता है, जहाँ शाम और सुबह दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। डूबता हुआ सूर्य एक नए उदय का वादा दर्शाता है।

 

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