कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीते की मृत्यु | 17 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और नामीबियाई चीते की मौत हो गई।
- वर्ष 2022 में दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीतों में से यह दसवाँ है जिसकी मृत्यु हुई है।
मुख्य बिंदु:
- भारत में चीते लगभग 70 वर्षों से विलुप्त हैं। प्रोजेक्ट चीता देश में इस प्रजाति को फिर से लाने की एक पहल है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, यह जंगली, बड़ी मांसाहारी प्रजाति का पहला अंतरमहाद्वीपीय पुन प्रवेश है।
- नामीबिया में एक गैर-लाभकारी संगठन, चीता कंज़रवेशन फंड (CCF) को भारत सरकार द्वारा भारत में चीतों को फिर से लाने के लिये एक कार्यक्रम में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया था।
- तत्कालीन पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सितंबर 2010 में प्रोजेक्ट चीता का पहला अवलोकन साझा किया।
- इसमें टास्क फोर्स के बारे में जानकारी के साथ-साथ विश्व में चीतों की वर्तमान स्थिति, भारत में चीतों को फिर से लाने के लाभ और जटिलताओं एवं उन क्षेत्रों को रेखांकित किया गया, जहाँ उन्हें फिर से लाया जा सकता है।
- जनवरी 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने देश में चीतों को फिर से लाने के पायलट कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी।
- जुलाई 2020 में, भारत और नामीबिया गणराज्य ने एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किये, जहाँ नामीबियाई सरकार कार्यक्रम के लिये आठ चीता को दान करने पर सहमत हुई।
- चार से छह वर्ष की उम्र के बीच की पाँच मादा और तीन नर दक्षिणपूर्व अफ्रीकी चीतों को भारत लाया गया तथा मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (KNP) में संगरोध में रखा गया।
- फरवरी 2023 में, परियोजना का विस्तार करने के लिये दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए। MoEFCC ने आगे "अगले आठ से 10 वर्षों के लिये प्रत्येक वर्ष 12 और चीतों को स्थानांतरित करने" की योजना बनाई है।
चीता कंज़रवेशन फण्ड(CCF)
- CCF नामीबिया में एक अनुसंधान और लॉबी संस्थान है जो विश्व में सबसे बड़ी एवं स्वस्थ चीता आबादी के अध्ययन तथा भरण-पोषण से संबंधित है।
- इसका अनुसंधान और शिक्षा केंद्र, ओटजीवारोंगो के पूर्व में स्थित है।
- CCF की स्थापना वर्ष 1990 में संरक्षण जीवविज्ञानी लॉरी मार्कर द्वारा की गई थी, जिन्होंने नामीबिया में अपने प्रयासों के लिये 2010 टायलर पुरस्कार जीता था।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान
- कुनो राष्ट्रीय उद्यान जो मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले में स्थित है, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से स्थानांतरित कई चीतों का आवास स्थान है।
- भारत में प्रोजेक्ट चीता औपचारिक रूप से 17 सितंबर, 2022 को चीतों की आबादी को बहाल करने के लिये शुरू हुआ, जिन्हें वर्ष 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।