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उत्तराखंड

अब पूरे देश में बिकेगी चमोली की जड़ी-बूटियाँ, आयुष मंत्रालय ने 48 काश्तकारों को किया पंजीकृत

  • 10 Apr 2023
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

9 अप्रैल, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चमोली जनपद में जड़ी-बूटी की खेती कर रहे 48 काश्तकारों को केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने पंजीकृत कर लिया है। अब ये काश्तकार देश के किसी भी कोने में जड़ी-बूटियाँ बेच सकेंगे।

प्रमुख बिंदु 

  • विदित हे कि चमोली के उच्च हिमालय क्षेत्रों के गाँवों के काश्तकार बड़े पैमाने पर कुटकी व अन्य जड़ी-बूटियों की खेती कर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का कारोबार कर रहे हैं।
  • बीते वर्ष चमोली जनपद के काश्तकारों ने करीब दो करोड़ रुपये की कुटकी बेची। देवाल ब्लॉक के घेस और वाण गाँव में करीब 10 हेक्टेयर भूमि पर काश्तकार कुटकी का उत्पादन कर रहे हैं। प्रत्येक तीन साल में तैयार होने वाली कुटकी की कीमत 1200 रुपये प्रति किलोग्राम है।
  • श्रीनगर गढ़वाल की ह्यूमन हिलर्स कंपनी किसानों से कुटकी खरीदती है। गढ़वाल विश्वविद्यालय कुटकी की खेती में सहयोग देता है।
  • गौरतलब है कि हिमालय क्षेत्र के गाँवों में जड़ी-बूटी कृषिकरण पर भारत सरकार का आयुष मंत्रालय एक डॉक्यूमेंट्री बनाने जा रहा है। आयुष मंत्रालय कुटकी की खेती के लिये 70 फीसदी की सब्सिडी पर ऋण देता है। इसी क्रम में मंत्रालय अब कुटकी की खेती, काश्तकारों की समस्याओं, अधिक से अधिक काश्तकारों को जड़ी-बूटी की खेती से जोड़ने के लिये डॉक्यूमेंट्री बना रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में 2700 से 4500 मीटर की ऊँचाई पर पैदा होने वाली जड़ी-बूटी कुटकी खून साफ करना, ताकत, ज्वार और शुगर की दवा के रूप में काम आती है। कुटकी पीलिया, हेपिटाइटिस, एलर्जी, अस्थमा और त्वचा की बीमारियों के उपचार में भी काम आती है। इसके अलावा गठिया, रक्त विकार, हिचकी और उल्टी की दवाई के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। 

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