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State PCS Current Affairs


उत्तर प्रदेश

तराई हाथी अभयारण्य को केंद्र की मंज़ूरी

  • 25 Oct 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

23 अक्तूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने तराई हाथी रिज़र्व (टीईआर) को अपनी मंज़ूरी दे दी है, जिसे दुधवा टाइगर रिज़र्व और लखीमपुर एवं पीलीभीत ज़िलों में स्थित पीलीभीत टाइगर रिज़र्व सहित 3,049 वर्ग किमी. क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • उत्तर प्रदेश वन विभाग के अनुसार, विभाग ने अप्रैल में प्रस्ताव तैयार किया था और इसे 11 अक्तूबर को केंद्र को भेज दिया था। टीईआर के लिये केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय से मंज़ूरी मिलने के बाद अब जल्द ही राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जाएगी।
  • गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में तराई हाथी रिज़र्व के अस्तित्व में आने के साथ, दुधवा टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश में अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा जो चार प्रतिष्ठित जंगली जानवरों की प्रजातियों - बाघ, एक सींग वाला गैंडा, एशियाई हाथी और दलदली हिरण की रक्षा और संरक्षण करेगा।
  • दुधवा और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के अलावा, हाथी रिज़र्व में किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य, दुधवा बफर ज़ोन और दक्षिण खीरी वन प्रभाग के कुछ हिस्से शामिल होंगे।
  • तराई हाथी अभयारण्य की स्थापना वन्यजीव संरक्षण के मामले में एक मील का पत्थर होगी, विशेष रूप से एशियाई हाथियों के लिये, क्योंकि यह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जहाँ हाथियों की सीमा-पार आवाजाही एक नियमित दिनचर्या है।
  • केंद्र हाथी परियोजना के तहत सभी वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, जो मानव-हाथी संघर्षों को सँभालने में मदद करेगा। दुधवा में हाथी अभयारण्य की स्थापना से उनके संरक्षण के प्रति हाथी केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी।
  • साथ ही, परियोजना हाथी के तहत प्राप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता का उपयोग दुधवा के शिविर में मौजूद हाथियों के प्रबंधन में किया जाएगा और मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं, जो वर्तमान में राज्य पर निर्भर हैं, को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि दुधवा टाइगर रिज़र्व ने दशकों से विभिन्न घरेलू और सीमा पार गलियारों के माध्यम से जंगली हाथियों को आकर्षित किया है, जिसमें बसंता-दुधवा, लालझड़ी (नेपाल) -सथियाना और शुक्लाफांटा (नेपाल)-ढाका-पीलीभीत-दुधवा बफर ज़ोन कॉरिडोर शामिल हैं। प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत तराई एलीफेंट रिज़र्व इन गलियारों को पुनर्जीवित करने या बहाल करने में मदद करेगा, जो खराब हो गए हैं।
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