क्षिप्रा में बढ़ते प्रदूषण पर CAG की रिपोर्ट में चिंता जताई गई | 22 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, कई राज्य सरकारी एजेंसियों के हस्तक्षेप के बावजूद, क्षिप्रा नदी प्रदूषित बनी हुई है।
मुख्य बिंदु:
- इसमें बताया गया है कि क्षिप्रा उप-बेसिन के कुप्रबंधन और भूजल के दोहन के कारण नदी का प्राकृतिक प्रवाह कम हो गया है।
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय शहरी निकायों का अपशिष्ट नदी में प्रवाहित हो रहा है।
- औद्योगिक अपशिष्ट के अपर्याप्त उपचार, नदी तल पर प्रदूषण के कारण क्षिप्रा जल और उसकी सहायक नदियों की गुणवत्ता में गिरावट आई है।
- CAG ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उद्योगों पर उचित और पर्याप्त निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिये।
- लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट में राज्य में निर्माणाधीन पुलों के पूरा होने में देरी का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि अक्तूबर 2020 तथा सितंबर 2021 के बीच पाँच डिवीज़नों में जिन 72 नमूना पुलों की जाँच की गई, उनमें से केवल नौ समय पर पूरे हुए थे।
क्षिप्रा नदी
- यह मध्य प्रदेश राज्य की एक बारहमासी नदी है
- इसका उद्गम विंध्य पर्वतमाला में काकरी-टेकड़ी नामक पहाड़ी से होता है, जो धार के उत्तर में है और उज्जैन से 11 किमी. की दूरी पर स्थित है।
- यह नदी 195 किमी. लंबी है, जिसमें से 93 किमी. उज्जैन से होकर बहती है।
- यह मालवा पठार से होकर बहती हुई चम्बल नदी में मिल जाती है
- धार्मिक महत्त्व:
- पुराणों या प्राचीन हिंदू ग्रंथों में कहा गया है कि क्षिप्रा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के वराह अवतार के हृदय से हुई है।
- इसके अलावा क्षिप्रा के तट पर ऋषि संदीपनि का आश्रम है, जहाँ भगवान विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण ने अध्ययन किया था।
- इसका उल्लेख न केवल प्राचीन हिंदू ग्रंथों में बल्कि बौद्ध और जैन ग्रंथों में भी मिलता है।
- पवित्र शहर उज्जैन क्षिप्रा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। प्रसिद्ध कुंभ मेला इस शहर के घाट पर प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार लगता है, जो देवी क्षिप्रा नदी का वार्षिक उत्सव है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ खान और गंभीर हैं।