उत्तराखंड
राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति को कैबिनेट की मंजूरी
- 10 Jul 2023
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चर्चा में क्यों?
7 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश में नियमों और मानकों को ताक पर रखकर संचालित नशामुक्ति केंद्र और मनोरोगियों के लिये संस्थानों पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसी संबंध में प्रदेश सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति नियमावली को मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- अब राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति नियमावली के नियमों के तहत ही सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों व नशामुक्ति केंद्रों का संचालन किया जाएगा।
- संस्थानों के अलावा मनोवैज्ञानिकों, मानसिक स्वास्थ्य नर्सों, मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण में अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के अस्थायी पंजीकरण के लिये दो हज़ार रुपए शुल्क रखा गया है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का पंजीकरण निशुल्क होगा।
- एक साल के अस्थायी लाइसेंस के लिये दो हज़ार रुपए शुल्क देय होगा। उसके बाद स्थायी पंजीकरण के लिये 20 हज़ार शुल्क देना होगा।
- नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में पाँच से 50 हज़ार रुपए जुर्माना, दूसरी बार में दो लाख और बार-बार उल्लंघन पर पाँच लाख जुर्माना किया जाएगा। बिना पंजीकृत नशामुक्ति केंद्रों में काम करने वाले कर्मचारियों पर 25 हज़ार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को पहली बार में छह माह की जेल या 10 हज़ार रुपए जुर्माना, बार-बार उल्लंघन पर दो वर्ष की जेल या 50 हज़ार से पाँच लाख रुपए जुर्माना किया जाएगा।
- विदित है कि वर्ष 2019 में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सात ज़िलों में निगरानी व सुनवाई के लिये बोर्ड गठन कर दिया है। इनमें हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी ज़िले में बोर्ड बन चुका है, जबकि छह ज़िलों में प्रक्रिया चल रही है।
- राज्य मानसिक स्वास्थ्य नीति नियमावली के अंतर्गत नशामुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बनाकर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर ही नशामुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा।
- मरीजों के इलाज के लिये चिकित्सक, मनोचिकित्सक को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिये खुली जगह होनी चाहिये।
- ज़िलास्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिये फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।
- इस नीति के लागू होने से राज्य के मानसिक रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में होने वाली घटनाओं पर रोक लगेगी।