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उत्तर प्रदेश

बुंदेलखंड: सौर ऊर्जा का केंद्र

  • 06 Feb 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ?

उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति कर रहा है और बुंदेलखंड इस प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए ऊर्जा का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।

मुख्य बिंदु

  • उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा का विकास:
    • सरकार ने एक व्यापक सौर ऊर्जा नीति लागू की है, जिसके तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं को विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं।
    • वर्ष 2024 में, राज्य में लगभग 1100 मेगावाट क्षमता वाले 17 सौर ऊर्जा संयंत्र चालू हो चुके हैं।
    • इन सौर संयंत्रों ने प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित किये हैं, जो उत्तर प्रदेश में अक्षय ऊर्जा विस्तार के महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करते हैं।
  • बुंदेलखंड की भूमिका: 
    • बुंदेलखंड अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है और क्षेत्रीय विकास और रोज़गार को बढ़ावा दे रहा है।
    • इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश और जलवायु परिस्थितियाँ इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये आदर्श बनाती हैं।

प्रमुख परियोजनाएँ: 

  • बुंदेलखंड में 4 हज़ार मेगावाट की सौर ऊर्जा इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। इस क्षेत्र में स्थापित 10 नए सौर संयंत्रों में से 995 मेगावाट ने काम करना शुरू कर दिया है।
  • झाँसी सौर ऊर्जा परियोजना TUSCO लिमिटेड द्वारा 600 मेगावाट की परियोजना जनवरी 2025 में चालू की जाएगी। इसके साथ ही, 2024 के मध्य में 1200 करोड़ रुपए के निवेश के साथ बबीना, झाँसी में फोर्थ पार्टनर एनर्जी द्वारा 100 मेगावाट का सौर संयंत्र शुरू किया गया। 
  • बुंदेलखंड में एक और महत्त्वपूर्ण विकास सन सोर्स एनर्जी सोलर ओपन एक्सेस प्रोजेक्ट है, जो राज्य के ऊर्जा ग्रिड में अतिरिक्त 135 मेगावाट का योगदान देता है।

बुंदेलखंड

  • बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित एक भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है।
  • यह उत्तर प्रदेश के सात जिलों (झाँसी, जालौन, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बाँदा और चित्रकूट) से मिलकर बना एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र है।
  • यह एक पर्वतमाला भी है। झाँसी बुंदेलखंड का सबसे बड़ा शहर है। 
  • बुंदेलखंड को पहले जेजाभुक्ति या जेजाकभुक्ति के नाम से जाना जाता था, लेकिन 14वीं शताब्दी में बुंदेलों के समय से इसे बुंदेलखंड के नाम से जाना जाने लगा।
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