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छत्तीसगढ़

BPCL छत्तीसगढ़ में CBG संयंत्र शुरू करेगी

  • 15 Mar 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने राज्य में संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्र स्थापित करने के लिये छत्तीसगढ़ जैव ईंधन विकास प्राधिकरण और रायपुर व भिलाई के नगर निगमों के साथ साझेदारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • रायपुर और भिलाई में अत्याधुनिक सुविधाएँ स्थापित करने के लिये प्रत्येक में 100 करोड़ रुपए का निवेश निर्धारित किया गया है, जिसका लक्ष्य नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट को जैव ईंधन में परिवर्तित करना है।
    • प्रतिदिन 100-150 टन की प्रसंस्करण क्षमता वाले नियोजित CBG संयंत्र, प्रतिदिन लगभग 200-250 मीट्रिक टन नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का उपयोग करेंगे।
  • इस प्रयास का उद्देश्य न केवल एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है, बल्कि सालाना लगभग 60,000 मानव-दिवस रोज़गार सृजन करने की भी उम्मीद है, जिससे क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।
    • चक्रीय अर्थव्यवस्था एक औद्योगिक प्रणाली है जो डिज़ाइन से पुनर्स्थापनात्मक या पुनर्योजी है।
  • यह पहल उपोत्पाद के रूप में जैविक उर्वरक का उत्पादन करेगी, जो जैविक कृषि और सतत् कृषि की दिशा में राज्य के प्रोत्साहन का समर्थन करेगी।

संपीड़ित बायोगैस (CBG)

  • अपशिष्ट/बायोमास स्रोत जैसे कृषि अवशेष, मवेशी का गोबर, गन्ना प्रेस मिट्टी, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, सीवेज उपचार संयंत्र अपशिष्ट, आदि अवायवीय अपघटन की प्रक्रिया के माध्यम से बायोगैस का उत्पादन करते हैं।
  • बायो-गैस को हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), जल वाष्प को हटाने के लिये शुद्ध किया जाता है और संपीड़ित बायोगैस (CBG) के रूप में संपीड़ित किया जाता है, जिसमें मीथेन (CH4) की मात्रा 90% से अधिक होती है।
  • CBG में CNG के समान कैलोरी मान और अन्य गुण हैं तथा इसलिये इसे हरित नवीकरणीय ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • इस प्रकार, देश के भीतर बायोमास की प्रचुर उपलब्धता को देखते हुए यह ऑटोमोटिव, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में CNG की जगह ले सकता है।

जैव ईंधन

  • कोई भी हाइड्रोकार्बन ईंधन जो किसी कार्बनिक पदार्थ (जीवित या कभी जीवित रही सामग्री) से एक कम समयावधि (दिन, सप्ताह या माह) में उत्पन्न किया जाता है, जैव ईंधन कहा जाता है।
  • जैव ईंधन ठोस, तरल या गैसीय हो सकते हैं।
    • ठोस जैव ईंधन में लकड़ी, शुष्क पादप सामग्री और खाद शामिल हैं।
    • तरल जैव ईंधन में बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल शामिल हैं।
    • गैसीय जैव ईंधन में बायोगैस शामिल है।
  • इनका उपयोग डीजल, पेट्रोल या अन्य जीवाश्म ईंधन के अलावा परिवहन, पोर्टेबल और अन्य अनुप्रयोगों के लिये किया जा सकता है। साथ ही इनका इस्तेमाल विद्युत और ऊष्मा उत्पन्न करने में भी किया जा सकता है।
  • जैव ईंधन की ओर संक्रमण तेल की बढ़ती कीमतों, जीवाश्म ईंधन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और किसानों के लाभ के लिये उनके कृषि फसलों से ईंधन प्राप्त करने में रुचि जैसे कारणों से प्रेरित है।
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