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वनस्पति वैज्ञानिकों ने विकसित की नीम की छह प्रजातियाँ

  • 10 Aug 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

9 अगस्त, 2022 को वन अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि वनस्पति विज्ञानियों ने नीम की छह नई प्रजातियाँ विकसित की हैं। इससे उत्तराखंड समेत तमाम राज्यों में नीम का अधिक-से-अधिक उत्पादन करने के साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति को मज़बूत किया जा सकेगा।

प्रमुख बिंदु

  • डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि भारत समेत दुनिया के कई देशों में निबौली और नीम के तेल की भारी मांग को देखते हुए नीम की छह नई प्रजातियाँ विकसित की गई हैं। नई प्रजातियाँ सामान्य की तुलना में कई गुना बेहतर हैं। विकसित की गईं नई प्रजातियों से निबौली और तेल का अधिक उत्पादन होगा।
  • नई प्रजातियों से नीम के सामान्य पौधे की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक तेल का उत्पादन होगा। परिणामस्वरूप तेल की मांग को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा।
  • संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक नई प्रजातियाँ सामान्य नीम की तुलना में तीन साल पहले ही फल देना शुरू कर देंगी। सामान्य नीम के पौधे छह साल में निबौली का उत्पादन करते हैं। सामान्य नीम के पौधे से निकलने वाली एक किलोग्राम निबौली से जितना तेल का उत्पादन होगा, उतना ही तेल नई प्रजातियों की नीम से मात्र 300 ग्राम बीज से किया जा सकेगा।
  • सभी प्रजातियों में अजादरेक्टिन तत्त्व की मात्रा सामान्य की तुलना में बहुत अधिक पाई गई है। सामान्य नीम के बीजों में जहाँ अजादरेक्टिन की मात्रा 1000 पीपीएम है, वहीं नई प्रजातियों में इसकी मात्रा दस हज़ार पीपीएम पाई गई है।
  • संस्थान के वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार मौज़ूदा समय में देश में सिर्फ 35 लाख टन निबौली और सात लाख टन तेल का उत्पादन हो रहा है, जो मांग के अनुरूप बहुत कम है।
  • देश में यूरिया के उत्पादन में नीम के तेल की मांग के साथ ही एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल, एंटी वायरल और एंटीबैक्टीरियल दवाइयों को बनाने के साथ ही नीम के तेल का इस्तेमाल कॉस्मेटिक वस्तुओं को बनाने में भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
  • नीम की प्रजाति भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, इंडोनेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों में पाई जाती है तथा अब अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका महाद्वीप तक पहुँच गई है।
  • भारत समेत पूरी दुनिया में नीम के बीजों और तेल की भारी मांग को देखते हुए चीन जैसे देशों में कई करोड़ हेक्टेयर में नीम की खेती की जा रही है। अमेरिका, यूरोपीय देशों के साथ चीन जैसे देशों में नीम को लेकर बड़े पैमाने पर शोध भी किये जा रहे हैं।
  • नीम एक ऐसा वृक्ष है, जिसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। नीम के वृक्ष को वेदों में सर्वरोग निवारिणी के रूप में उल्लेखित किया गया है। वेदों में इसे दैव वृक्ष माना गया है।
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