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उत्तराखंड में सीमांत गाँवों को आबाद करेगा बॉर्डर टूरिज्म

  • 06 Jan 2023
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

5 जनवरी, 2023 को उत्तराखंड के ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस नेगी ने बताया कि राज्य के सीमांत गाँवों को आबाद करने के लिये उत्तराखंड सरकार ‘बॉर्डर टूरिज्म’ योजना शुरू करने की पहल करने जा रही है।

प्रमुख बिंदु 

  • इसके लिये राज्य की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिवालय में योजना का विवरण प्रस्तुत किया जा चुका है। केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग को योजना का खाका तैयार करने के निर्देश दिये हैं।
  • डॉ. एस.एस नेगी ने बताया कि राज्य के सीमांत गाँवों को आबाद करने के लिये राज्य सरकार ने बॉर्डर टूरिज्म के लिये उत्तराखंड के चार ब्लाक उत्तरकाशी में भटवाड़ी, चमोली में जोशीमठ और पिथौरागढ़ में मुनस्यारी व धारचूला का चयन किया है। ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
  • विदित है कि अभी तक पर्यटकों को सीमांत क्षेत्रों में जाने के लिये ज़िलाधिकारी की ओर से इनर लाइन परमिट दिया जाता है। उत्तरकाशी ज़िले की गंगा घाटी के दो गाँव नेलांग और जादूंग 60 साल से वीरान हैं। यहीं गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा भी पड़ता है। इस क्षेत्र में जाने के लिये वन विभाग से अलग से अनुमति लेनी पड़ती है। इस बात की संभावना तलाशी जा रही है कि कैसे अनुमति की इस प्रक्रिया को और सरल किया जाए।
  • ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, अधिकतर सीमांत गाँव छह माह बर्फ से ढके रहते हैं। यहाँ होने वाले कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ होम स्टे तैयार किये जाएंगे। नए पर्यटन स्थलों का चिन्हीकरण किया जाएगा। पर्यटन से जुड़े हर काम में स्थानीय लोगों को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • डॉ. एस.एस नेगी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बार्डर टूरिज्म को बढ़ावा के लिये रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सरकार चाहती है कि सीमावर्ती गाँवों में फिर से रौनक लौटे, लेकिन इससे पहले वहाँ लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये संसाधन जुटाने होंगे। बार्डर टूरिज्म इस दिशा में कारगर नीति हो सकती है।
  • उल्लेखनीय है कि भारत-चीन के बीच उत्तराखंड में 345 किमी. लंबी सीमा है। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के कई गाँवों को खाली करा दिया गया था। इनमें से कई गाँव आज भी निर्जन हैं। देश की सीमा से लगे ये गाँव किसी प्रहरी की भाँति काम करते थे।
  • सैन्य मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा के करीब बसावट सुरक्षा के लिहाज से महत्त्वपूर्ण है। इसी को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में बार्डर टूरिज़्म की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वहाँ लोगों को बसाना संभव नहीं हो पाता, तब तक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
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