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बिहार

बिहार विधानसभा शताब्दी समारोह

  • 21 Oct 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

21 अक्तूबर, 2021 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बिहार विधानसभा भवन के सौ साल पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। इसके पहले राष्ट्रपति ने विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया।

प्रमुख बिंदु

  • 25 फीट ऊँचे इस स्मृति स्तंभ की स्थापना मुख्य भवन के सौ वर्ष पूरे होने की याद में की जा रही है। विधानसभा का यह भवन 1920 के मार्च महीने में बनकर तैयार हुआ था। 
  • बिहार और उड़ीसा प्रांत को 1920 में पूर्ण राज्य का दर्ज़ा मिलने के बाद 7 फरवरी, 1921 को विधानसभा के नव-निर्मित भवन में पहली बैठक हुई थी। वर्तमान में 17वीं विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है। 
  • 7 फरवरी, 1921 को हुई पहली बैठक में लॉर्ड सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा ने गवर्नर के तौर पर भाग लिया था। अंग्रेज़ों के समय यह भवन बिहार-उड़ीसा विधानपरिषद के नाम से जाना जाता था।
  • भारत सरकार अधिनियम, 1919 के आने के बाद बिहार और उड़ीसा को संपूर्ण राज्य का दर्ज़ा प्राप्त हुआ। बिहार के पहले गवर्नर सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा बने थे।
  • आज़ादी के बाद हुए पहले चुनाव के बाद 1952 में पहली बार विधानसभा की बैठक हुई, तब विधानसभा में 331 सदस्य थे। वर्तमान बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। 
  • इतालवी पुनर्जागरण शैली में बिहार विधानसभा के इस भवन का निर्माण हुआ है। इसमें समानुपाति संतुलन दिखता है। लंबे-लंबे गोलाकार स्तंभ और अर्द्धवृत्ताकार मेहराब इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। 
  • इस भवन में एक निश्चित अंतराल पर कट मार्क हैं, जो इसे बेहद खूबसूरत बनाते हैं। विशेषज्ञों की नज़र में यह इंडो-सारसेनिक शैली का विस्तार है। विधानसभा का सदन का कार्यवाही हॉल अर्द्धगोलाकार शक्ल में है। विधानसभा परिसर में तीन हॉल, 12 कमरे हैं।
  • वास्तुविद् ए.एम. मिलवुड ने बिहार विधानसभा भवन की डिज़ाइन तैयार की थी। इसकी आंतरिक संरचना 60 फीट लंबी और 50 फीट चौड़ी है। विधानसभा भवन के अगले हिस्से की लंबाई 230 फीट है। विधान मंडल के भवन को 1935 के अधिनियम के बाद दो हिस्सों में बाँटा गया। पहले हिस्से में विधानसभा और दूसरे में विधानपरिषद बनी। 
  • श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे। इनके मुख्यमंत्री काल में 18 सितंबर, 1947 को विधानसभा में ज़मींदारी उन्मूलन विधेयक पेश हुआ और 1950 में भूमि सुधार कानून पास हुआ। 
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद करीब दो साल तक बिहार के राज्यपाल रहे। इसके बाद वे राष्ट्रपति हुए। इनसे पहले जाकिर हुसैन बिहार के राज्यपाल से राष्ट्रपति बने थे।
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